उन्नाव। उत्तर प्रदेश के उन्नाव में गंगा नदी के परियार घाट पर मिले शवों का डीएनए टेस्ट कराए जाने के बीच केन्द्र सरकार ने इस मामले में पूरी रिपोर्ट तलब कर ली है।
जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल ने बताया कि ज्यादातर शवों के क्षतविक्षत होने की वजह से उनका पोस्टमार्टम कराया जाना सम्भव नहीं है लेकिन सभी का डीएनए टेस्ट कराने के लिए बिसरा सुरक्षित किया जा रहा है। दूसरी ओर गंगा में मिले शवों के मामले को गंभीरता से लेते हुए केन्द्र सरकार ने पूरे मामले की रिपोर्ट तलब कर ली है।
केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने कहा कि केन्द्र इस मामले पर नजर रखे हुए है। भारती ने इस सिलसिले में बुधवार शाम ही नई दिल्ली में अपने विभागीय अधिकारियों की बैठक बुला ली। केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस मामले की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से कहा था। अग्रवाल ने शवों की संख्या करीब 80 बताई है, लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों के दावे के मुताबिक इनकी संख्या 105 के आसपास है।
जिलाधिकारी ने कहा कि प्रारम्भिक जांच के अनुसार मिले शव परियार घाट के निकट दफनाए गए थे। दफनस्थल पर कटान लगने की वजह से ये शव बाहर आ गए। आमतौर पर नदी में पानी बढ़ने या घटने से इस तरह की घटनाएं होती हैं। अग्रवाल ने बताया कि डीएनए के लिए शवों का विसरा लेकर उनका अंतिम संस्कार कर दिया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि हिन्दू परम्परा के अनुसार अविवाहित लोगों के शवों को नदी के किनारे दफना दिया जाता है। माना जा रहा है कि ये शव उन्हीं लोगों के हैं। मंगलवार सुबह इन शवों को देखते ही ग्रामीणों ने अधिकारियों को सूचित किया था। शवों को फिर से दफनाने के लिए आठ जेसीबी मशीनों की मदद ली जा रही है। शवों की वजह से कौआ, कुत्ते और चील को मंडराते देखा जा रहा है।
इससे पहले इन शवों को जहरीली शराब काण्ड से मरे लोगों के होने की अफवाह से क्षेत्र में तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी। इसकी जांच कर रहे उपजिलाधिकारी सूर्य शुक्ला ने कहा कि गंगा में पानी घटने की वजह से यह शव बाहर आ गए। इनकी पहचान के लिए डीएनए टेस्ट कराया जा रहा है। दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकान्त बाजपेयी ने मंगलवार को शवों को दफनाने पर कड़ी आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि दफनाने से पहले इनका मेडिकल परीक्षण और इसकी उच्चस्तरीय जांच कराई जाए।