नई दिल्ली। विधानसभा चुनावों और बजट सत्र की गहमा-गहमी के बीच संसद में नए राष्ट्रपति के चुनाव की कवायद शुरू हो गई है। इसके लिए प्रेसिडेंट इलेक्शन सेल का मंगलवार को गठन कर दिया गया।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल इस साल जुलाई में खत्म हो रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि राष्ट्रपति चुनाव पर पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के परिणाम का असर सीधा पड़ेगा।
संसद भवन के कमरा नंबर 108-ए में संसदीय सचिवालय की एक टीम ने नए राष्ट्रपति के चुनाव की तैयारियों पर काम शुरू कर दिया है। राष्ट्रपति चुनाव के निर्धारित कैलेंडर के मुताबिक देश के प्रथम नागरिक का चुनाव 25 जुलाई, 2017 तक कर लिया जाएगा।
इस बार राष्ट्रपति चुनाव का संयोजक लोकसभा सचिवालय को बनाया गया है। पिछली बार यह जिम्मेदारी राज्यसभा सचिवालय ने निभाई थी। लोकसभा के महासचिव राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिटर्निंग अधिकारी होंगे।
गौरतलब है कि भारत में राष्ट्रपति का चयन अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली से होता है जिसमें इलेक्टोरेट कॉलेज के जरिए चुनाव होता है। यानी हर चुने हुए सांसद, विधायक और विधान परिषद सदस्यों के आधार पर राज्यों का मतांक तय किया जाता है।
लिहाजा जहां संसद के दोनों सदनों के सदस्य मतदान करेंगे, वहीं राज्यों के चुने हुए प्रतिनिधि भी सूबों में मतदान करेंगे। इस लिहाज से 11 मार्च को आने वाला चुनावी परिणाम राष्ट्रपति चुनाव की दिशा भी तय करेंगे। संविधान के अनुच्छेद-55 में देश में राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया निर्धारित की गई है।