लखनऊ। सूबे में विधानसभा चुनाव को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार जनसभाएं कर रहे हैं। इसी कड़ी में वह 16 फरवरी को फैजाबाद के अयोध्या में जनसभा करेंगे।
वहीं सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी इस दौरान रामलला के दर्शन भी कर सकते हैं। ऐसे में राम मन्दिर का मुद्दा एक बार फिर गरमा सकता है।
विपक्ष पहले भी चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी पर राम मन्दिर का मुद्दा उछालने का आरोप लगा चुका है। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी के रामलला के दर्शन के बारे में अभी आधिकारिक तौर पर कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है।
माना जा रहा है कि पीएम मोदी अपनी जनसभा में चार क्षेत्रों अवध, गोरक्ष, काशी और कानपुर पर फोकस करेंगे। प्रधानमंत्री जनसभा में किसानों, युवाओं, महिला सुरक्षा और रोजगार को लेकर केन्द्र सरकार की नीतियों और पार्टी के घोषणपत्र के अहम मुद्दों को भी जनता के बीच रखेंगे।
पार्टी रणनीतिकार प्रधानमंत्री की अयोध्या रैली से पूरे पूर्वांचल को एक सन्देश देना चाहते हैं। उनका मानना है कि कांग्रेस सहित, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की सरकारों ने हमेशा से ही पूर्वांचल की अनदेखी की है। यही वजह है कि यह क्षेत्र विकास की दौड़ में पश्चिमी यूपी से पिछड़ता चला गया।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी अपनी सरकार में पूर्वांचल के विकास के लिए गोखपुर में एम्स की स्थापना का निर्णय, बन्द यूरिया कारखाने को चालू कराने सहित अन्य मुद्दों को जनता के बीच रख सकते हैं, जिससे पार्टी को इसका चुनाव में लाभ मिल सके।
इसी तरह कानपुर को लेकर भी केन्द्र सरकार की योजनाओं का जिक्र किया जा सकता है। वहीं अगर पीएम के अयोध्या दौरे की बात करें तो इससे पहले वह वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के तौर पर पर अयोध्या में चुनावी सभा कर चुके हैं।
तब लोगों को उम्मीद थी कि मोदी प्रभु राम की इस पावन धरती से मन्दिर निर्माण पर कुछ बोलेंगे लेकिन उन्होंने राम का नाम तो लिया था, पर मन्दिर मुद्दे पर वह कुछ नहीं बोले थे। उन्होंने रामराज की बात तो छेड़ी थी, लेकिन राम मन्दिर निर्माण पर चुप्पी साध ली थी। उन्होंने कहा था कि राम की धरती से वचन नहीं तोड़ा जाता है।
वहीं मौजूदा विधानसभा चुनाव के दौरान भी पार्टी अध्यक्ष अमित शाह सहित अन्य वरिष्ठ नेता राम मन्दिर को चुनावी मुद्दा बताने से इनकार कर चुके हैं। सभी इसे आस्था का विषय बताते आये हैं।
खास बात है कि विवादित स्थल पर अस्थायी मन्दिर के प्रमुख पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने चुनाव से पहले बयान दिया था कि साधु-महन्त भाजपा का समर्थन तभी करेंगे, जब प्रधानमंत्री मोदी अपने कार्यकाल में अयोध्या में राम मन्दिर के निर्माण का वादा करेंगे।
दास ने कहा था कि मोदी को अयोध्या आना चाहिए, हमें गारण्टी देनी चाहिए और यह घोषणा करनी चाहिए कि वह अपने कार्यकाल में राम मन्दिर का निर्माण करवा देंगे। अब देखना है कि मोदी अयोध्या में आकर सिर्फ चुनावी जनसभा करके लौट जाते हैं या फिर रामलला के दर्शन के साथ इस मुद्दे पर भी कुछ बोलेंगे।
प्रधानमंत्री इसके अलावा 15 फरवरी को कन्नौज, 16 फरवरी को हरदोई और बाराबंकी तथा 19 फरवरी को फतेहपुर में पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में चुनावी सभा को सम्बोधित करेंगे।