मुंबई। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने सोमवार को फिर से दोहराया है कि शिवसेना इतनी लाचार नहीं है कि वह सब कुछ बर्दाश्त करते हुए सत्ता में बनी रहे। उन्होंने राज्य में मध्यावधि चुनाव का संकेत देते हुए कहा कि सिर्फ भावनावश वह अब किसी भी तरह की युति नहीं करने वाले हैं।
उद्धव ठाकरे ने अपने मुखपत्र में कहा कि पिछले 25 सालों से उनकी पार्टी विचारों में साम्यता की वजह से युति में थे और इस दरम्यान नुकसान उठाते रहे। विधानसभा में युति टूट गई थी। उस समय दिल्ली में भाजपा वाले कहते थे कि शिवसेना को 10-15 सीटें ही मिलेंगी, लेकिन राज्य की जनता ने शिवसेना को 63 सीटें दी और 20 सीटों पर शिवसेना के प्रत्याशी अल्पमतों से हारे थे।
चुनाव बाद कांग्रेस मुक्त राज्य करने के लिए भावना वश उन्होंने भाजपा के साथ फिर से युति कर लिया था,लेकिन अब लगता है कि वह हमारी सबसे बड़ी गलती थी। इसलिए इससे आगे शिवसेना अब अकेले दम पर ही सभी चुनाव लडऩे वाली है।
उद्धव ठाकरे ने कहा कि राज्य व केंद्र में अगर मध्यावधि चुनाव होते हैं तो दोनों जगह बड़े पैमाने पर परिवर्तन होगा। मिली जानकारी के अनुसार शिवसेना अध्यक्ष ने फिलहाल अपना निर्णय गोपनीय रखा है।
शिवसेना सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 18 फरवरी को बांद्रा स्थित बीकेसी ग्राउंड पर होने वाली महानगरपालिका की अंतिम चुनाव प्रचार सभा में शिवसेना के सभी मंत्री अपना इस्तीफा उद्धव ठाकरे को सौपने वाले हैं, इसके बाद उद्धव ठाकरे मुंबई महानगरपालिका का चुनाव परिणाम को आंकते हुए इस विषय पर अपना निर्णय स्पष्ट करने वाले हैं।
हालांकि शिवसेना खेमें से यह भी पता चला है कि शिवसेंना का कोई मंत्री इस्तीफा देने का पक्षधर नहीं है, यह सब मनपा चुनाव तक ही मतदाताओं को आकर्षित करने का एक तरीका मात्र है। मतगणना के बाद दोनों दल एकसाथ मिलकर मुंबई, महानगरपालिका, राज्य व केंद्र की सत्ता में सहभागी रहने वाले हैं।