जोधपुर। महापौर घनश्याम ओझा ने सोमवार को भारी हंगामे के बीच जोधपुर नगर निगम का पेश किया।
बजट पर चर्चा और पूर्व में की गई विकास योजनाओं की घोषणाओं की वास्तविक स्थिति पर चर्चा के विपक्ष के आव्हान के बावजूद महापौर ने सदन में अपने बहुमत का फायदा उठाते हुए हंगामे के बीच मात्र तीस मिनट की कार्यवाही में 7 अरब पांच करोड़ 39 लाख 27 हजार का तीसरा बजट बजट पारित करवा दिया।
नगर निगम की ओर से आज बजट पेश करने की घोषणा की गई थी। बजट की बैठक नियत समय से 11 बजे की बजाये 11 बजकर दस मिनट पर शुरू हुई और मात्र तीस मिनट में हंगामे के बीच महापौर ने बजट मीटिंग की समाप्ति की घोषणा करके राष्ट्रीय गान कर दिया।
नगर निगम के इस बजट में पूर्व में की गई घोषणाओं और उसके लिये तय किये गये बजट के पूरे उपयोग में नहीं लेने से कई मदों में इस बार बजट बढाने की बजाये घटाने की व्यवस्था की गई।
शहर में विकास के लिए किए गए दावे पूरे साल भर में भी निगम की खस्ता आर्थिक स्थिति के चलते पूरे नहीं होने के कारण इस बार भी हालांकि बजट तो बढाया गया लेकिन उसका क्रियान्वयन कैसे होगा उसकी कोई योजना इस बजट में नहीं की गई है।
नगर निगम की बैठक की शुरूआत से लेकर तीस मिनट की अवधि में चली इस दौरान सत्तारूढ भाजपा और विपक्ष में बैठी कांग्रेस पार्टी के पार्षदों ने अपने क्षेत्र में विकास कराने या शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के मुद्दे पर चर्चा करने के बजाय इस बैठक के दौरान सभी मर्यादाओं को ताक में रखकर जमकर हंगामा किया।
शहर के कथित विकास की रूपरेखा के रूप में पेश किए गए बजट की प्रतियां फाडने के साथ सदन की गरिमा को भंग करते हुए मंच पर चढने से भी नहीं चूके।
महापौर घनश्याम ओझा जहां विकास के दावे करते नजर आए वहीं कांग्रेसी पार्षद पूर्व में की गई घोषणाओं के क्रियान्विति और पेश किए जाने वाले बजट पर चर्चा के लिए हल्ला मचा रहे थे लेकिन दोनों पक्षों ने एक दूसरे को सुनने समझने की बजाय शहर के विकास की मुख्य धुरी कहे जाने वाले इस बजट को हंगामे की भेंट चढाने में कोई कसर नहीं रखी।
सबका साथ सबका विकास की तर्ज पर शहर का विकास का दंभ भरने वाले महापौर सदन में विपक्ष की कोई भी बात सुनने को तैयार नजर नहीं आ रहे थे। वे अपने तीन साल के कार्यालय में किए गये कार्यो और प्राप्त की गई आय और उपलब्धियों की बजाये कांग्रेस के गत पांच साल के कार्यकाल से खुद की तुलना करते नजर आए।