वाशिंगटन। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पदभार ग्रहण करने 25 दिनों के बाद ही उनके सुरक्षा सलाहकार माइकल फलिन ने इस्तीफा दे दिया है। बताया जाता है कि रूस के साथ कथित संबंध होने की वजह से फ्लिन पर इस्तीफे के लिए भारी दबाव था।
पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार फ्लिन के बारे में पहले मीडिया की खबरों में कहा गया था किउन्होंने ट्रंप के सत्ता संभालने से पहले अमरीका में रूसी राजदूत से प्रतिबंधों को लेकर चर्चा की थी जिसे अमरीकी विदेश नीति का उल्लंघन माना गया था।
यह न केवल विदेश नीति का उल्लंघन था बल्कि फ्लिन ने उप राष्ट्रपति माइक पेंस से कहा था कि उन्होंने प्रतिबंध से संबंधित कोई बात नहीं की थी। इसके बाद पेंस ने टीवी चैनलों के सामने कहा कि वह पूरे दावा के साथ कह सकते हैं कि प्रतिबंधों के बारे में कोई बात नहीं हुई थी।
इस बीच खुफिया अधिकारियों के हवाले से कुछ अखबारों में खबरें छपीं थीं कि फ्लिन और रूसी राजदूत के बीच प्रतिबंधों के बारे में भी चर्चा हुई थी। इसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया। बीबीसी के अनुसार एक महीने के अंदर ट्रंप प्रशासन के लिए यह दूसरा झटका है।
इससे पहले अदालत ने सात मुस्लिम बहुल देशों के लिए उनकी आव्रजन नीति पर रोक लगा दी और अब ट्रंप के बेहद करीबी समझे जाने वाले माइकल फ्लिन को भारी दबाव के कारण इस्तीफा देना पड़ा है।
फ्लिन ने अपने त्याग पत्र में कहा है कि मैंने ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले रुसी राजदूत से टेलीफोन पर कई बार बातचीत की थी जिसकी अधूरी जानकारी उपराष्ट्रपति पेंस को दी थी।
फ्लिन ने कहा कि उन्होंने उपराष्ट्रपति से माफी मांग ली है और उन्होंने माफी स्वीकार कर लिया है। लेकिन बताया जाता है कि डेमोक्रेट्स फ्लिन के इस्तीफे की मांग कर रहे थे।
आरोप लगने के बावजूद ट्रंप प्रशासन ने चुप्पी साध रखी थी, लेकिन सोमवार की शाम एक शीर्षस्थ सलाहकार केलीएन कॉनवे ने कहा कि फ्लिन को राष्ट्रपति ट्रंप का पूर्ण विश्वास प्राप्त है जिसके बाद लगने लगा था कि फ्लिन बने रहेंगे।
लेकिन उसके एक घंटे बाद ही ह्वाइट हाउस के प्रवक्ता शॉन स्पाइसर ने एक बयान जारी कर कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप पूरी स्थिति का जायजा ले रहे हैं। इससे स्पष्ट हो गया था कि इस मुद्दे पर ह्वाइट हाउस एकमत नहीं है।