पणजी/नई दिल्ली। समुद्र में चलने वाली सेलबोट आईएऩएसवी तरिणी को शनिवार शाम गोवा में भारतीय नौसेना शामिल किया गया। नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा की उपस्थिति में इसे आईएनएस मनदोवी के बोट पूल में शामिल किया गया।
यह नौका भारतीय महिलाओं के सबसे पहले दल को दुनिया की सैर पर लेकर जाएगी जिसे भारतीय नौसेना द्वारा अगस्त में शुरू किया जाएगा। इस अवसर पर एडमिरल सुनील लांबा ने घोषणा की कि उसके सभी महिलाओं क्रू का बेहद चुनौतीपूर्ण अभियान अगस्त 2017 में शुरू किए जाने की उम्मीद है।
महिलाओं के चालक दल के बारे में उन्होंने कहा कि टीम आईएनएसवी महादेई पर 10,000 से अधिक नौटिकल मील की यात्रा कर चुकी है। मानसून के समुद्र और तेज हवा में बड़ी बहादुरी से भारत से मॉरीशस और वापस और गोवा से केप टाउन की यात्रा कर चुका है।
ओडिशा के गंजाम जिले के प्रसिद्ध तारा तारिणी मंदिर से प्रेरित डिजाइन की इस नौका का नाम तारिणी रखा गया है जिसका संस्कृत में अर्थ है तारने वाला। महादेई के बाद ‘तारिणी’ नौसेना का दूसरा नौकायन पोत है।
कुल छह पाल वाली इस बोट में मुश्किल से मुश्किल हालात में भी सफर तय करने की ताकत है। अत्याधुनिक सेटेलाइट सिस्टम के जरिये तारिणी के क्रू से दुनिया के किसी भी हिस्से में संपर्क किया जा सकता है।
समुद्री नौवहन गतिविधियों और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सेना ने विश्व के पहले भारतीय महिला परिनौसंचालन अभियान की परिकल्पना की है। लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी के नेतृत्व में 6 महिला अधिकारियों के दल का चयन किया गया है।
इन्होंने आईएनडब्ल्यूटीसी मुंबई में नौवहन का मौलिक प्रशिक्षण लिया है। आईएनएसीवी तारिणी का निर्माण गोवा की मैसर्स एक्वेरियस शिपयार्ड प्राइवेट लिमिटेड, दिवर ने किया है।
एल्युमीनियम और स्टील के ढांचे की तुलना में बेहतर प्रदर्शन के लिए इस नौका का ढांचा लकड़ी और फाइबर ग्लास से बनाया गया है।