नई दिल्ली। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से सोशल मीडिया के जरिए कोई भी व्यक्ति कभी भी मदद की गुहार लगाता है तो वह मदद करने से नहीं चूकतीं। यही कारण है कि सुषमा को ट्विटर पर फॉलो करने वालों की भारी तादाद है।
किंतु, हैरत की बात ये है कि सुषमा को उनके पति कौशल स्वराज ट्वीटर पर फॉलो नहीं करते। इसका खुलासा कौशल को ट्विटर पर फॉलो करने वाले एक व्यक्ति के ट्वीट के जवाब में खुद कौशल ने किया है।
दरअसल, एक शख्स ने कौशल स्वराज से ट्विटर पर पूछा, ‘आप सुषमा को क्यों फॉलो नहीं करते?’ इसके जवाब में स्वराज कौशल ने लिखा, ‘क्योंकि मैं लीबिया या यमन में नहीं फंसा हुआ हूं।’ यह जवाब सोशल मीडिया में छाया हुआ है। कुछ लोग इस पर चुटकियां ले रहे हैं तो कई कौशल की तारीफ कर रहे हैं।
कौशल के जवाब पर कई अन्य टि्वटर यूजर्स ने भी मजेदार टिप्पणियां दी हैं। एक यूजर ने लिखा है। खुशहाल शादीशुदा जिंदगी के लिए, सभी जोड़ों को एक-दूसरे को फेसबुक और टि्वटर पर ब्लॉक कर देना चाहिए। मालूम हो कि सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल नामी वकील रह चुके हैं और पूर्व राज्यपाल हैं।
सुषमा स्वराज जहां अक्सर ट्विटर पर मदद मांगने वालों के लिए आगे आती रहती हैं। वह विदेशों में फंसे लोगों की मदद करने से लेकर पासपोर्ट बनवाने तक में मदद करती रहती हैं। सुषमा कई बार व्यक्तिगत चीजें भी अपने पर्सनल ट्विटर पेज से शेयर करती हैं।
कुछ दिन पहले उन्होंने पति स्वराज कौशल के साथ अपनी एक तस्वीर शेयर की थी। वहीं उनके पति स्वराज कौशल भी ट्विटर पर खासे सक्रिय रहते हैं। कौशल से जब कभी सुषमा को लेकर सवाल पूछे जाते हैं तो वे बेहद चुटीले अंदाज में जवाब देते हैं।
ट्विटर यूजर ने पूछा, ‘आप आखिरी बार सुषमा स्वराज से कब मिले थे? इस पर उसे जवाब मिला था, ‘क्या आप आरटीआई एक्टिविस्ट हैं।’ रमेश नाम के एक यूजर ने पूछा था, ‘सर, मैं जानना चाहता हूं कि आपने अरैंज मैरिज की थी या लव मैरिज?’ इस पर उन्हें जवाब मिला, ‘दोनों के लिए वारंटी पीरिएड क्या है।’
लक्ष्य आडवाणी ने पूछा था, ‘सर, मैं आपका सम्मान करता हूं, बस यह जानना चाहता हूं कि सब ठीक है? सुषमा स्वराज मैम आज टि्वटर पर सक्रिय नहीं है। उम्मीद करता हूं सब ठीक हो।’ इस ट्वीट पर स्वराज ने जवाब दिया, ‘अगर वे ट्वीट नहीं कर रही हैं तो सब ठीक है।’
मालूम हो कि 1990 में महज 37 साल की उम्र में स्वराज कौशल मिजोरम के राज्यपाल के रूप में पदभार संभालने वाले भारतीय इतिहास में सबसे कम उम्र के गवर्नर बने थे। उन्हें हरियाणा विकास पार्टी के उम्मीदवार के रूप में अगस्त 1998 में हरियाणा से राज्यसभा के लिए चुना गया था।