मुंबई। मुंबई महानगर पालिका के चुनाव परिणाम आने के बाद यहां पर किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाने के बावजूद शिवसेना-भाजपा द्वारा अपने-अपने महापौर बनाने के दावे किए जा रहे हैं, वहीं शिवसेना अपना महापौर बनाने के लिए कांग्रेस की ओर आशाभरी नजर से देख रही है तो कांग्रेस पसोपेश में है।
शिवसेना को सपा का समर्थन मिलने की भी बात कही जा रही है। गौरतलब है कि मुंबई मनपा में 227 सीटें हैं, इसमें से भाजपा को 82 सीटें मिली हैं तो शिवसेना की बागी सीट मिलाकर 85 हो जाएगी। शिवसेना का यदि कांग्रेस 31 सीटों के साथ समर्थन करती है तो वह बहुमत का आंकडा पार कर जाएगी।
चार निर्दलीय नगरसेवकों ने पहले ही शिवसेना को समर्थन देने की घोषणा कर दी है। इसके पहले सपा भाजपा-शिवसेना गठबंधन को अपरोक्ष रूप से समर्थन कर चुकी है और कहा जा रहा है कि वह भी शिवसेना को ही समर्थन करेगी। भाजपा गठजोड़ करके भी मुंबई में सत्ता से दूर ही रह पाएगी, क्योंकि कांग्रेस का उसे समर्थन मिलना नहीं है।
राकांपा की नौ सीटें और मनसे की सात सीटों का समर्थन उसे मिल सकता है। सपा और एमआईएम तो भाजपा को समर्थन देने से रहीं। अखिल भारतीय सेना की एक सीट का समर्थन भले ही भाजपा को मिल जाए, पर वह भी शिवसेना समर्थक ही है।
इसलिए भाजपा-शिवसेना को एक बार पुन: सत्ता पाने के लिए गठबंधन करना पड़ सकता है। पर दोनों दलों के नेताओं द्वारा जिस तरह से एक-दूसरे पर कीचड़ उछाला गया है, उससे दोनों दलों के एक साथ आने की संभावना तो क्षीण दिख रही है। पर राजनीति में कुछ भी हो सकता है।
इसलिए मुंबईकरों की निगाहें दोनों दलों के नेताओं की ओर लगी हैं कि आखिर वे सब कौन सा, और कैसा निर्णय लेते हैं। हालांकि अनुमान व्यक्त किया जा रहा है कि शिवसेना व भाजपा मिलकर मुंबई महानगरपालिका में पुन: सत्ता स्थापित करने वाली हैं। इस तरह की संभावना व्यक्त की जा रही है।