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अलवर में ब्लड संक्रमण से सात मरीजों की मौत, जांच के आदेश - Sabguru News
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अलवर में ब्लड संक्रमण से सात मरीजों की मौत, जांच के आदेश

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अलवर में ब्लड संक्रमण से सात मरीजों की मौत, जांच के आदेश
seven deaths due to Blood infections in alwar
seven deaths due to Blood infections in alwar
seven deaths due to Blood infections in alwar

अलवर। शहर के निजी अस्पतालों में पिछले पांच दिनों में हुई सात मरीजों की मौत के मामले को जिला कलेक्टर मुक्तानन्द अग्रवाल ने गम्भीरता से लेते हुए शुक्रवार को पीएमओ को पांच डॉक्टरों की टीम गठित कर तीन दिन में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।

इन्होंने इस मामले को ब्लड संक्रमण ही माना है। उधर सेठ माक्खन लाल चैरिटेबल ब्लड बैंक के इन्जार्च डॉ. चन्द्रशेखर शर्मा ने ब्लड संक्रमण से मौत होने को गलत माना है। मामला उजागर होने के बाद मोती डूंगरी स्थित सेठ माखन लाल चैरिटेबल ब्लड बैंक में निजी अस्पतालों के डॉक्टरों की आपात बैठक हुई।

बैठक के बाद ब्लड बैंक ने स्टोर किए हुए ब्लड को देने पर रोक लगा दी है। अब मरीजों को ताजा ब्लड की दिया जा रहा है। जानकारी के अनुसार शहर के 06 निजी अस्पतालों में ब्लड चढ़ाने के बाद मरीजों की तबीयत बिगडऩे की शिकायत आई।

इन मरीजों के ऑपरेशन हुए या अन्य बीमारी के चलते खून चढ़ाया गया। खून चढ़ाने के बाद मरीज गंभीर हो गए। हालांकि यह अभी पुख्ता नहीं कहा जा सकता है कि ब्लड संक्रमित था। ब्लड बैंक के साथ-साथ निजी अस्पतालों की जांच के लिए सैंपल भेजे हैं।

जांच रिपोर्ट आने के बाद ही मामले के सही कारणों का पता चल सकेगा। पांच दिन में दिया 167 यूनिट ब्लड बैंक ने पिछले पांच दिन में 167 यूनिट ब्लड दिया है। मौजूदा समय में ब्लड बैंक में करीब पांच सौ यूनिट का स्टॉक है। ब्लड बैंक इंजार्च का कहना है कि हर दिन 40 से 50 यूनिट ब्लड दिया जाता है।

ब्लड डोनेशन कैंप में संक्रमण का रहता है खतरा ब्लड डोनेशन कैंप में जहां बडी संख्या में ब्लड लिया जाता है वहां संक्रमण का खतरा रहता है। आजकल नेताओं के जन्म दिन हो या अन्य कोई अवसर। सैकडों की संख्या में एक साथ ब्लड डोनेट कर दिया जाता है।

ब्लड लेते समय जिस जगह निडिल लगा रहे उसकी सही तरीके से सफाई नहीं हो तो संक्रमण का खतरा रहता है। जहां एक साथ हजार यूनिट ब्लड डोनेट हो रहा है वहां सभी तरह की व्यवस्थाएं ठीक रखना मुश्किल होता है। वैसे भी खून को 35 दिन बाद नष्ट कर दिया जाता है। मरीज को भी चार घंटे भीतर ब्लड चढ़ाना जरूरी होता है।

रीनल फैलियर सेप्टीसिमिया से हुई मौत

अधिकतर मरीजों की रीनल फैलियर सेप्टीसिमिया से मौत हुई है। डॉक्टरों का कहना है कि ब्लड चढ़ाने के चार-पांच घंटे बाद मरीजों की तबीयत बिगड़ी। संक्रमण इतनी तेजी से फैला कि किडनी ने काम करना बंद कर दिया। मरीज शॉक में चला गया।