मुंबई। मुंबई महानगरपालिका में शिवसेना व भाजपा द्वारा मिलकर महापौर बनाने के लिए दोनों दलों में गोपनीय चर्चा का दौर शुरु हो गया है। लेकिन दोनों दलों में अभी तक बात बनती नजर नहीं आ रही है।
इसी चर्चा के दौरान पता चला है कि शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे अभी तक उनकी संपत्ति की जांच की मांग को भूला नहीं पा रहे हैं। बतादें कि यह मांग सांसद किरीट सोमैया व भाजपा प्रदेश प्रवक्ता भाधव भंडारी ने की थी।
मिली जानकारी के अनुसार मुंबई महानगरपालिका चुनाव में दोनों दलों के बीच उत्पन्न कटुता का लाभ लेने का प्रयास कांग्रेस व राकांपा कर रही हैं। उधर शिवसेना भी कांग्रेस के कंधे पर बंदूक रखकर भाजपा को गठबंधन के लिए परेशान कर रही है।
हालांकि दोनों दल जान रहे हैं कि शिवसेना व भाजपा अगर अलग होते हैं तो इसका सीधा नुकसान दोनों दलों को होने वाला है और इसका नफा कांग्रेस व राकांपा को मिल सकता है।
बताया जा रहा है कि दोनों दलों के नेताओं ने इस राजनीतिक हालत पर चर्चा करना शुरु कर दिया है और महापौर बनाए जाने के फार्मूले पर विचार करना भी शुरु है। हालांकि इन नेताओं की बातचीत का ब्योरा नहीं मिल सका है।
दोनों दलों में होने वाले आगामी समझौते को देखते हुए शिवसेना की ओर से फिलहाल किसी भी तरह का आपत्तिजनक बयान नहीं दिया जा रहा है। उधर राजस्वमंत्री चंद्रकांत पाटील ने इतना ही संकेत दिया है कि दोनों दल मिलकर आगे काम करने वाले हैं।
बतादें कि कल्याण डोंबिवली महानगरपालिका में भी इसी तरह अलग-अलग चुनाव लडऩे पर दोनों दलों में तनाव की स्थिति बन गई थी, जिसे बाद में सुधार लिया गया था। इस बार भी दोनों दलों के बीच समझौता कराए जाने का प्रयास हो रहा है और दोनों दल किस फामूले पर काम करेंगे, इस पर विचार किया जा रहा है।
हालांकि आरएसएस की ओर से दोनों दलों के लिए ढाई -ढाई साल का महापौर बनाए जाने का प्रस्ताव दिया गया है। इसी प्रकार भाजपा शिवसेना की सहयोगी दल आरपीआई भी इस दूरी को कम करने का प्रयास कर रही है। केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास आठवले भी इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।