Warning: Undefined variable $td_post_theme_settings in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/news/wp-content/themes/Newspaper/functions.php on line 54
सांवरिया सुन सुन कर राधा हो गई बावली... - Sabguru News
Home Astrology सांवरिया सुन सुन कर राधा हो गई बावली…

सांवरिया सुन सुन कर राधा हो गई बावली…

0
सांवरिया सुन सुन कर राधा हो गई बावली…

radhaji

सम्मोहन का वो जादूगर था। द्वापर युग में अपनी बांसुरी की धुन पर उसने जगत को मोह लिया था। जगत के मोहन को भी एक मोहिनी ने मोह लिया था। वह जगमोहन उसके बिना एक पल भी नही बिता सकता था।

उसके शरीर मे उस मोहिनी की ही आत्मा थी और मोहिनी का भी यही हाल था वो अपने मोहन से अलग नहीं थी। एक दूसरे का आपस मे समर्पण प्रकृति ओर पुरूष की ही पहचान बता रहा था। इस कारण वह मोहन ओर मोहिनी इस जगत में राधा ओर कृष्ण के नाम से अवतरित हो पूजनीय बन गए।

कृष्ण के रोम रोम मे बसी थी राधा, उसकी आत्मा थी राधा। इस जगत में उसका अमर प्रेम थी राधा। पास में जब राधा ना होती तो वो अपनी मुरली की धुन बजाता ओर राधा सुन सुन कर बावली हो जाती थी और सब कुछ छोड वो कृष्ण के गले लग कर अपने आप को भूल जाती।मुरली की धुन लोगों को इतना मोह लेती थी कि पूरा गांव का गांव कृष्ण के सामने आकर बैठ जाता था।

उस बांसुरी के जादूगर की ऐसी कारीगरी थी कि वो बांसुरी की धुन पर एक कृत्रिम माया का निर्माण कर सभी को माया मे बांध देता था। पूरे महाभारत में उसकी बांसुरी की ही विजय हुई।इसी माया के बलबूते वो अहंकार का भी अंतं कर देता था।
एक बार भीम ने देखा कि युधिष्ठिर द्रोपदी के पाव दबा रहे थे क्योंकि वो अस्वस्थ थी।

इस पर भीम को गुस्सा आया और मां कुन्ती को यह बात कही। कुन्ती ने जब कोई जवाब नहीं दिया तो वह गुस्सा कर श्रीकृष्ण के पास गए और यह बात कही। कृष्ण भीम को एक जंगल मे ले गए ओर पेड के साथ खड़े हो गए तथा बांसुरी बजाने लगे।

थोड़ी देर बाद भीम देखते हैं कि एक बड़ा सा मण्डप था उसमे सभी तैंतीस करोड देवी देवता बैठे किसी के आने का इंतजार कर रहे थे।इतने में एक रथ आया उसमे एक स्त्री बैठी थी। सभी देवताओं ने उनको प्रणाम किया। भीम ने देखा तो तो वह द्रोपदी थी। इतने में यमराज भी आ गए सात मटके लेकर।

यमराज ने द्रोपदी के पाव छूए तब द्रोपदी ने कहा इन मटको में यमराज क्या लेकर आए। यमराज बोले इनमे पांच अंहकारियों के खून भरे से भरे हुए हैं तथा दो खाली में अंहकारी दुर्योधन व भीम का खून भरना है। यह बात सुनकर भीम धबरा गए ओर द्रोपदी के पांव छूए ओर बचाओ बचाओ चिल्लाने लगे।

इतने में कृष्ण ने मुरली बजाना बंद कर दिया ओर जब भीम को होश आया तो वहा कोई नहीं था लेकिन भीम बहुत घबराया हुआ था और उसका अंहकार खत्म हो गया। जो कृष्ण की भक्ति मे रम जाता है और मुरली को स्मरण करता है उसके कार्य सिद्ध हो जाते हैं।

सौजन्य : भंवरलाल