लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मथुरा के चर्चित जवाहर बाग पार्क काण्ड में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया है। जवाहर बाग पार्क में अवैध रूप से डेरा डाले लोगों से जमीन खाली कराने के दौरान हुई झड़प में दो पुलिस अधिकारियों सहित 22 लोगों की मौत हुई थी।
इस मामले की सीबीआई जांच के लिए नौ लोगों ने याचिका डाली थी। अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई मामले की पड़ताल करेगी। मुख्य न्यायाधीश डी.बी. भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने गुरूवार को जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।
इससे पहले अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 20 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। हाईकोर्ट ने सीबीआई के निदेशक को जांच के लिए स्पेशल टीम गठित कर दो महीने में प्रगति रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
यह याचिकाएं दिल्ली स्थित भाजपा नेता और उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय और मथुरा के निवासी विजय पाल सिंह तोमर की ओर से दाखिल की गयी थीं। इसके अलावा पिछले साल हुई इस झड़प में मारे गए पुलिस अधीक्षक मुकुल द्विवेदी की पत्नी अर्चना द्विवेदी और भाई प्रफुल्ल द्विवेदी ने भी बाद के चरण में अपनी अर्जियां दायर की थीं।
चुनावी महासमर के दौरान हाईकोर्ट का यह फैसला प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। हाईकोर्ट ने स्वयं माना है कि मथुरा का जवाहरबाग काण्ड जमीन कब्जे की एक बड़ी साजिश थी, जिसे रामवृक्ष यादव और उसके साथियों ने अंजाम दिया था।
गौरतलब है कि अखिलेश यादव सरकार ने जनवरी, 2014 में राम वृक्ष यादव के संगठन स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह को जवाहर बाग के भीतर दो दिन के लिए विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति दी थी, लेकिन इस समूह के सदस्यों ने इस विशाल पार्क पर दो साल से अधिक समय तक कब्जा जमाए रखा।
इसके बाद 2 जून को हाई कोर्ट के आदेश के बाद भारी हिंसा के बीच इस पार्क को खाली कराया गया। इस दौरान रामवृक्ष यादव के नेतृत्व में सशस्त्र अतिक्रमणकारियों के हमले में एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ संतोष कुमार यादव शहीद हो गए थे।
इसके अलावा कई पुलिस वाले गंभीर रूप से घायल हुए थे। वहीं पुलिस की जवाबी कार्रवाई में रामवृक्ष खेमे के 22 लोग मारे गए थे। बाद में पार्क में बनाई गईं झोपड़ियों से भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक बरामद किए गए थे।