चित्तौड़गढ़। विश्व विख्यात चित्तौड़गढ़ दुर्ग स्थित पद्मिनी महल में रविवार को कांच तोड़ने की घटना के बाद पुरातत्च विभाग और प्रशासन सतर्क हो गया है। प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से लाइट एण्ड साउण्ड सिस्टम कार्यक्रम स्थल सहित पद्मिनी महल की भी सुरक्षा बढ़ा दी है।
घटनाक्रम के बाद राजपूत करणी सेना ने एक बार फिर प्रशासन और पुरातत्व विभाग को चेतावनी दी है। राजपूत करणी सेना के प्रदेश महासचिव विश्वबंधु सिंह ने सोमवार को प्रेस वार्ता कर बताया कि पद्मिनी महल में कांच फोड़ने की जिम्मेदारी श्री राजपूत करणी सेना लेती है।
उन्होंने कहा की यह किसी सरफिरे का काम है जो की सामजिक हित की सोच रखता है। उन्होंने प्रशासन और पुरातत्व विभाग को 12 मार्च से पहले दुर्ग पर दिखाए जाने वाले लाइट एंड साउंड शो से अलाउद्दीन खिलजी और पद्मिनी से जुड़े तथ्य हटाने को कहा है।
उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि पद्मिनी महल से कांच के अंश और लाइट एंड साउंड सिस्टम शो कार्यक्रम से अलाउद्दीन खिलजी और पद्मिनी से जुड़े तथ्य नहीं हटाए गए तो 12 मार्च को पूरे प्रदेश से करणी सेना के लोग चित्तौड़गढ़ में एकत्र होकर खून की होली खेलेंगे। अब यह प्रशासन को तय करना है कि वह खून की होली चाहता है या रंग की।
इधर पद्मिनी महल में शीशे तोड़ने की घटना के बाद पद्मिनी महल और लाइट एंड साउंड सिस्टम स्थल पर अतिरिक्त पुलिस जाब्ता तैनात कर दिया गया हैं। चित्तौड़गढ़ सांसद चन्द्र प्रकाश जोशी ने भी कहा है कि मेवाड़ के इतिहास से छेड़छाड़ किसी भी हालात में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। लेकिन कांच फोड़े जाने को लेकर चित्तौड़ दुर्ग की सुरक्षा के मामले को लेकर पूछे गए सवाल को सांसद जोशी ने भी टाल दिया।
गौरतलब है कि फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली की निर्माणाधीन फिल्म में प्रस्तुत कथानक को इतिहास से छेडछाड़ बताते हुए राजपूत समाज सहित अन्य संगठनों ने कड़ा ऐतराज जताते हुए विरोध दर्ज करवाया था। जयपुर में संजय लीला भंसाली के साथ मारपीट भी हुई थी। राजपूत करणी सेना की चित्तौड़गढ़ इकाई ने पुरातत्व विभाग से पद्मिनी महल में लगे शीशे हटाने की मांग की थी।
यह भी कहा था कि यदि प्रशासन कार्रवाई नहीं करेगा तो करणी सेना इस काम को करेगी। रविवार को पद्मिनी महल में लगे शीशे तोड़ दिए गए हैं। अब एक बार फिर करणी सेना ने प्रसाशन को चेतावनी दी है। इधर चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर हुए घटनाक्रम के बाद पुलिस की जांच जारी है और लगातार चेतावनियां दी जा रही हैं तो विश्व ऐतिहासिक दुर्ग की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं।