हिन्दू धर्म में हमेशा होली, गणगोर के त्यौहार पर गुंझिया बनाये जाते हैं. कई लोग गुंझिया को घर पर बनाते हैं और कई बाजार से खरीदते हैं. अगर आप बाजार से खरीदते हैं तो गुंझिया को खा कर देखे क्योंकि फेस्टिवल के समय बाजार में मिठाईओं में बहुत मिलावट आती हैं.
ऐसा इसलिए क्योंकि त्यौहारों पर हर कोई इनमें मिलावट के साथ इनको सिर्फ बेचने के माध्यम से बनाते हैं। उनमें मिलावट को पूरा इस्तेमाल किया जाता हैं। कुछ मिठाई की दुकानेें ही ऐसी होती हैं जो शुद्ध घी में गुंझिया बनाती हैं। बल्कि ज्यादातर तो सिर्फ नकली घी में गुंझिया बनाते हैं। इससे उन्हें तो कोई नुकसान नहीं हेाता लेकिन हमारी सेहत के साथ खिलवाड़ जरूर होता हैं। हम आपको कुछ बातें बताने जा रहे हैं जिन्हें जानना आपको बहुत जरूरी है।
सबसे पहले तो आप दुकान की स्वच्छता के मानक का पूरा ध्यान रखें जो मानक पर खरा उतरता हैं। दुकानदार या दुकान पर काम करने वाले कर्मचारी साफ कपड़े पहने होने चाहिए और गुंझिया देते समय वे दस्ताने जरूर पहने होने चाहिए। अगर आपको गुझिया घर पर बनाना है तो स्टार्च की मौजूदगी की जांच के लिए खोया की परख जरूर कर लें। त्यैाहार के दिनों में खोए की भारी मांग के मद्देनजर कई विक्रेता पहले से ही खोया बनाकर रख लेते हैं, हम आपको बतां दें कि जबकि खोया एक निश्चित अवधि तक ही सुरक्षित रह सकता है |
अगर इसे सही तापमान में उचित प्रकार से नहीं रखा गया है तो इसमें हानिकारक बैक्टीरिया पनप सकते हैं, इसलिए खोए से अगर खराब, बासी महक आ रही है तो बिल्कुल भी नां खरीदें। खोये को अंगूठे और उगंलियों के बीच मसलकर भी इसकी शुद्धता को परखा जा सकता है, अगर यह शुद्ध होगा तो मसलने से इसमें से तेल निकलेगा। क्येांकि हम इसे रोज तो खाते नही हैं लेकिन अगर त्यौहारों पर खा रहें हैं तो कम से कम साफ सफाई का पूरा ध्यान रखकर ही इसका उपयोग करें।