वाशिंगटन। विकीलीक्स की ओर से सीआईए के हैकिंग उपकरणों से संबंधित हजारों दस्तावेज सार्वजनिक किए जाने के मामले की आपराधिक जांच की जाएगी।
अमरीकी अधिकारियों ने कहा कि देश की जांच एजेंसियां एफबीआई और सीआईए संयुक्त रूप से मामले की जांच करेंगी। उल्लेखनीय है कि इन दस्तावेजों में दावा किया गया है कि सीआईए ने ऐसे तरीके खोज निकाले हैं जिसमें स्मार्टफोन और टीवी माइक्रोफोन के जरिए जासूसी की जा सकती है।
सीआईए के एक प्रवक्ता ने बुधवार को कहा था कि इस तरह की जानकारियां केवल अभियानों और सैनिकों को ही संकट में नहीं डालते हैं, बल्कि हमें नुक्सान पहुंचाने के लिए दुश्मनों को भी ऐसी सूचनाओं और उपकरणों से लैस करते हैं।
एक अधिकारी ने पहचान नहीं उजागर करने की शर्त पर कहा कि जांच से पता किया जाएगा कि संचिकाएं विकीलीक्स के पासं कैसे पहुंची और इस कुचक्र में सीआईए के अंदर के लोग शामिल हैं या बाहर के लोगों के हाथ हैं।
ये दस्तावेज 2013 से 2016 के बीच के बताए जा रहे हैं। हालांकि सीआईए ने इन संचिकाओं की सत्यता की पुष्टि नहीं की है। लेकिन सीआईए के एक पूर्व निदेशक माइकल हेडेन ने कहा कि जो हमने पढ़ा अगर वह सही है तो यह सीआईए के वैध विदेशी अभियानों में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों, तकनीकों और प्रक्रियाओं के लिहाज से अपूर्णीय क्षति मालूम पड़ती है।
इसने अमरीका और मित्र देशों को असुरक्षित कर दिया है। उधर, प्रौद्योगिकी कंपनियों ने भी प्रतिक्रिया जाहिर की हैं, क्योंकि सीआईए ने उनके उनके उपकरणों में कथित रूप से सेंध लगाई है। खास तौर पर सैमसंग एफ 8000 श्रृंखला के टीवी सेटों की सुरक्षा में कथित रूप से सेंध लगाई गई थी।
कंपनी ने कहा कि उपभोक्ताओं की निजता और उपकरणों की सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है। सार्वजनिक दस्तावेज में दावा किया गया है कि सीआईए ने माइक्रोसॉफ्ट विंडोज सिस्टम इस्तेमाल करने वाले निजी कंप्यूटरों को निशाना बनाने के लिए मालवेयर बनाया था।
माइक्रोसॉफ्ट ने भी जांच करने की बात कही है। विकीलीक्स ने दाव किया है कि पिछले साल सीआईए ने ‘जीरो डे’ नाम से 24 एंड्रायड बनाए थे। उधर, अमरीकी खुफिया और कानून लागू करने वाले अधिकारियों ने कहा कि ठेकेदारों ने संभवत: सीआईए के हैकिंग उपकरणों से संबंधित दस्तावेज विकीलीक्स को सौंपे थे।
व्हाइट हाउस ने भी इस मुद्दे पर बुधवार को कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की औ कहा कि दस्तावेज लीक करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।