नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि वह इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि आधार संवैधानिक परीक्षा पर खड़ा उतरेगा। सुप्रीमकोर्ट में आधार की वैधानिकता को लेकर मामला लंबित है।
संयुक्त राष्ट्र भारत की ओर से आयोजित वित्तीय समावेशन सम्मेलन में यहां जेटली ने कहा कि आधार के संबंध में कानून पारित कर दिया गया है और मैं आश्वस्त हूं कि यह संवैधानिक आधार पर भी खड़ा उतरेगा।
उच्चतम न्यायालय ने निजता के अधिकार को महत्वपूर्ण संवैधानिक अधिकार बताते हुए कहा है कि यह प्रश्न अभी उठा है। निजता का हनन कानून द्वारा लागू किया जा सकता है लेकिन इसके लिए कोई उपयुक्त कारण होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि निजता के अधिकार की भी राष्ट्रीय सुरक्षा एवं सामाजिक योजनाओं के विस्तार की तरह अपनी सीमाएं हैं और आधार का प्रयोग सामाजिक योजनाओं के लिए किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि आधार देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़े पैमाने पर और सामाजिक योजनाओं के विस्तार के लिए जरूरी है।
वित्त मंत्री ने कहा कि यह एक वाजिब कारण है जिससे आधार का प्रयोग किया जाना चाहिए और जहां करोड़ों आधार नंबर, करोड़ों लोगों के बैंक खातों और मोबाइल नंबर से जुड़े हों, वहां इसकी महत्ता अपने आप बढ़ जाती है।
जेटली ने कहा कि एकबार जब आधार के जरिये पहचान नेटवर्क का विस्तार हो जाएगा तब इसका प्रयोग विभिन्न परियोजनओं को समाज के उस धड़े तक पहुंचाने के लिए किया जाएगा, जिसके लिए यह बनाया गया है।
उन्होंने कहा कि बिना लक्ष्य के सब्सिडी वितरण से संसाधन की बर्बादी होती है क्योंकि राज्य के पास संसाधन सीमित मात्रा में हैं।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में कुछ ऐसे प्रश्न हैं जो उठ रहे हैं और इसलिए डाटा की गोपनीयता एवं डाटा के संबंध में कुछ ठोस उपाय करना भी उतना ही जरूरी है।
पैन कार्ड को आधार से जोड़ने को अनिवार्य बनाने के सरकार की पहल के विरूद्ध उच्चतम न्यायालय में यह मामला लंबित है जिसमें सरकार को यह भी साबित करना है कि यह निजता के मूल अधिकार का हनन नहीं करता है।
अदालत में नौ सदस्यीय पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। सरकार को यह साबित करना है कि आधार का प्रयोग सामाजिक लाभों के प्रसार के लिए के लिए जरूरी है।