नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने पासपोर्ट में जन्म, अभिभावक और विवाह से जुड़ी जानकारी देने संबंधी नियमों में बदलाव किए हैं। अब जन्मतिथि के प्रमाणपत्र के तौर पर आधार सहित अन्य दस्तावेज भी मान्य होंगे।
इसके अलावा अभिभावक के तौर पर माता या पिता में से किसी एक का नाम दिया जा सकता है। वहीं साधु-संन्यासी अभिभावक के तौर पर अपने गुरु का नाम दे सकते हैं।
शुक्रवार को विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि आधार कार्ड, दसवीं का प्रमाणपत्र, पैन कार्ड, मतदाता पहचानपत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों की पॉलिसी और सरकारी सेवा संबंधी सर्विस रिकॉर्ड को जन्म तिथि के सबूत के तौर पर जन्मप्रमाण पत्र के अलावा वैध दस्तावेज माना जाएगा।
अनाथ बच्चों के लिए संबंधित संस्थाओं से जारी घोषणापत्र को भी वैध माना जाएगा। फिलहाल पासपोर्ट रूल्स, 1980 के तहत 26 जनवरी, 1989 के बाद जन्मे लोगों को पासपोर्ट बनवाते हुए जन्म तिथि के सबूत के तौर पर जन्म प्रमाणपत्र जमा करना होता है।
इसके अलावा अब पासपोर्ट फॉर्म में सिर्फ एक अभिभावक का नाम लिखना ही पर्याप्त होगा। इससे एकल अभिभावकों को लाभ मिलेगा। साधु-संन्यासी अभिवावक के स्थान पर अपने आध्यात्मिक गुरू का नाम दे सकते हैं।
नए नियमों में यह भी प्रावधान है कि विवाहित लोगों को शादी का प्रमाण पत्र जमा करने की जरूरत नहीं है। इन बदलावों के संबंध में देश और विदेश में पासपोर्ट जारी करने वाली संस्थाओं को दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। मंत्रालय के मुताबिक नए नियमों से संबंधित अधिसूचना जल्द ही जारी की जाएगी।