पटना। भारत रत्न और पदमविभूषण सम्मान से अंलकृत उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की दत्तक पुत्री मशहूर गजल गायिका और पद्मश्री डॉ. सपना घोष चाहती हैं कि आमिर खान उनके पिता का किरदार निभाएं।
शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खां साहब का जन्म बिहार के बक्सर जिले के डुमरांव शहर में 21 मार्च 1916 को हुआ था । उनकी 101वीं जयंती समारोह में शिरकत करने डुमरांव आईं डॉ. घोष ने बताया कि वह चाहती हैं कि उनके पिता के जीवन पर फिल्म बनाई जाए जिससे उनके बारे में अधिक से अधिक लोग जान सकें।
उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में आमिर खान ऐसे अभिनेता हैं जो खां साहब के किरदार को रूपहले पर्दे पर सही तरह से जीवंत कर सकते हैं। डॉ. घोष ने कहा कि अपने बाबा बिस्मिल्लाह खां साहब की जन्मस्थली डुमरांव आने की मुझे बेहद खुशी है।
वैसे तो मुझे संगीत नाटक अकादमी के माध्यम से डुमरांव में संगीत प्रस्तुत करना है लेकिन सच पूछिए तो उस्ताद पर पिछले 24 सालों से लगातार शोधपरक काम कर रहे लेखक मुरली मनोहर श्रीवास्तव की मैं दिल से सम्मान करती हूं जिनकी लगन मुझे यहां तक खींच लाई।
ऐसे ईमानदार और संगीत के प्रति सच्ची लगन के साथ काम करने वाले मुरली जी उस्ताद के नाम पर जो भी कार्य करेंगे हम उसमें इनका साथ हमेशा निभाएंगे।
संगीत की दुनिया में डॉ. सोमा प्राचीन वाद्यों को प्रतिष्ठा दिलाने के लिए संघर्षरत हैं। पदमश्री ने बताया मेरी अगली परियोजना यूनेस्को की रचनात्मक शहरों में कार्यक्रम के तहत वाराणसी में एक संगीत ग्राम स्थापित करना है। संगीत ग्राम परियोजना भारत के लुप्तप्राय भारतीय उपकरणों और घरानों को बचाने के लिए है।
ऐसी ही परिकल्पना पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने भी की थी जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक पहल के रूप में आगे बढ़ाया है। संगीत ग्राम’गुरु-शिष्य परंपरा’ पर आधारित है। मोदी गुजरात में भी लुप्तप्राय भारतीय उपकरणों के संग्रहालय की स्थापना कर चुके हैं।
डॉ. सपना घोष ने बताया कि वह चाहती हैं कि डुमरांव में उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की याद में विश्वविद्यालय की स्थापना की जाए। उन्होंने कहा कि वह वर्ष 2006 में बाबा के निधन से हर साल उनकी याद में ‘याद-ए-बिस्मिललाहÓ कार्यकम का आयोजन किया करती हैं।
उन्होंने बताया कि मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान देश के जाने माने सात शहनाई वादकों ने एक साथ मंच पर प्रस्तुति दी जिससे अभिनेत्री हेमा मालिनी काफी प्रभावित हुई थी।
डॉ. सोमा घोष ने युवाओं के बीच शास्त्रीय संगीत के प्रचार-प्रसार की अपील की साथ ही कहा कि जो मिठास भारतीय संगीत में है वो बात और कहां है। उन्होंने कहा कि बाबा कहा करते थे, मैं नहीं रहूंगा तो तू रहेगी तू गाएगी तो बिस्मिल्लाह की शहनाई तेरे गले में बजेगी। आज की जो तथाकथित फास्ट म्यूजिक है, उसमें धूम-धड़ाका तो खूब है, पर कहीं कोई रिलैक्स नहीं है।
संगीत सुना जाता है रिलैक्स के लिए। हमारी जो परंपरा है वह आनंद की है। हम गाते है तो आनंद में रहते है और सुनते है तो भी आनंद में ही रहते है। शायद इसका ही असर है कि हमारा बचपना आज तक बचा हुआ है।
बिस्मिल्लाह खां पर शोधपरक पुस्तक लिख चुके और डॉक्यूमेंट्री का निर्माण कर चुके मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने कहा कि उस्ताद के नाम पर मैंने खुद को समर्पित कर दिया है। गया जिले के उसास देवरा में वृद्धाश्रम का निर्माण कार्य जारी है। वर्ष 2013 से डुमरांव में बिस्मिल्लाह खां विश्वविद्यालय खोलने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।