नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान मामले में जांच कमेटी बना दी है। लोकसभा अध्यक्ष ने जांच कमेटी का फैसला आने तक भगवंत मान के संसद आने पर 3 अगस्त तक रोक लगा दी है।
भगवंत मान द्वारा वीडियो जारी करने के बाद उन पर संसद की सुरक्षा को जोखिम में डालने के आरोप लग रहे हैं।
हालांकि कई सुरक्षा पर्तों को पारकर संसद में प्रवेश करने का एक वीडियो फिल्माने और इसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के मामले में संसद में हंगामा मचने के बाद मान ने माफी मांगी थी। उन्होंने कहा था कि वह इस तरह के कृत्य को दोबारा नहीं दोहराएंगे।
वहीं सुमित्रा महाजन ने भगवंत मान को कड़ी नसीहत दी थी और कहा था कि केवल माफी मांगने से समस्या का हल नहीं निकल सकता, यह संसद की सुरक्षा का मसला है।
लोकसभा अध्यक्ष ने जांच कमेटी का फैसला आने तक भगवंत मान के संसद आने पर 3 अगस्त तक रोक लगा दी है। इसके साथ ही अध्यक्ष ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए सांसद भगवंत मान को सलाह दी जाती है कि जब तक इस मामले में कोई फैसला नहीं हो जाता, वह सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लें।
सोमवार सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होते ही अध्यक्ष ने कहा कि कई सदस्यों ने 22 जुलाई को मान के अनुचित आचरण का मामला उठाया था और मैंने भी इस संबंध में गहरी चिंता जाहिर की थी। उन्होंने इस मामले में भाजपा सदस्य किरीट सोमैया की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय जांच समिति का गठन किए जाने की घोषणा की।
अध्यक्ष ने संसद भवन परिसर की सुरक्षा व्यवस्था की वीडियोग्राफी करने और वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड करने को गंभीर मामला बताया।
उन्होंने कहा कि इस विषय पर सदन के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से विचार विमर्श किया गया और सभी ने उनकी इस बात से सहमति जताई कि इस मामले में कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि समिति को इस मामले के साथ ही भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए उचित उपचारात्मक उपाय सुझाने को कहा गया है।
26 जुलाई को समिति के सामने पेश हों भगवंत
अध्यक्ष ने कहा कि इस मामले में आप सदस्य भगवंत मान को भी 26 जुलाई को सुबह साढ़े दस बजे तक जांच समिति के समक्ष अपना पक्ष रखने को कहा जाता है। उन्होंने कहा कि समिति से उम्मीद की जाती है कि वह मामले की त्वरित जांच करे और तीन अगस्त तक अपनी रिपोर्ट दे। इस रिपोर्ट को विचार के लिए सदन के समक्ष रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि समिति को जांच के लिए अपनी प्रक्रिया का अनुसरण करने के लिए अधिकृत किया जाता है।
समिति के अन्य सदस्यों में आनंदराव अडसूल, मीनाक्षी लेखी, भृतुहरि मेहताब, रत्ना डे, थोटा नरसिम्हन, डा. सत्यपाल सिंह, केसी वेणुगोपाल और पी वेणुगोपाल भी शामिल हैं।
इससे पूर्व उन्होंने कहा कि यह संसद लोकतंत्र का पवित्र स्थान है। हमारी संसद पर 2001 में हमला किया गया और 13 सुरक्षाकर्मियों और संसदीय कर्मचारियों ने इसकी रक्षा करते हुए अपनी जान गंवाई थी। हमले के बाद संसद के सुरक्षा प्रबंधों की समीक्षा की गई और इसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन किया गया था।
अध्यक्ष ने कहा कि सदस्य के संसद की रिकार्डिग करने और उसे सोशल मीडिया पर उसे डालने से संसद की सुरक्षा संकट में पड़ गई। उन्होंने कहा कि इस कार्रवाई के गंभीर सुरक्षा प्रभावों को देखते हुए मैंने सदन को इस मामले को देखने का आश्वासन दिया था। मैंने लोकसभा में सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से विचार विमर्श किया और उन सभी ने मेरे द्वारा प्रस्तावित कार्रवाई का समर्थन किया था।