नई दिल्ली। आप ने बीजेपी के चुनावी घोषणा पत्रों में शामिल रहे दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के मामले से पलटी मारने का आरोप लगाया है।
पार्टी का कहना है कि विधानसभा चुनाव के दौरान जो भाजपा दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज देने की वकालत करती थी, आज वह हार जाने के बाद इस मुद्दे से पीछे हट रही है।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने मोदी सरकार के एक साल पूरा होने पर मीडिया से बातचीत में इस संबंध में पूछे जाने पर कहा था कि यह चर्चा का विषय है। इसके अलावा अन्य भाजपा नेता भी अब इसे केंद्र सरकार की सुरक्षा से जोड़कर मुद्दे को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश में जुटे हैं।
आप नेताओं ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा न दिए जाने पर भाजपा से चार सवाल पूछे हैं। पार्टी का कहना है कि क्या वैश्विक लोकप्रियता बढऩे का दावा करने वाली भाजपा ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के वादे से यू-टर्न ले लिया है।
दूसरा क्या, भाजपा की सरकार दिल्ली के बारे में सोचने की जगह उनके साथ निरंकुश और केंद्रीय शासन के माध्यम से दंड देने का प्रयास कर रही है।
तीसरा क्या, 2013 और 2014 के चुनावी घोषणा पत्र में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का वादा एक जुमला था। और चौथा सवाल क्या, दिल्ली को पिछले 17 साल से भाजपा को सत्ता न देने के लिए दंडित किया जा रहा है।
आप नेताओं ने कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का मामला भाजपा ने ही उठाया था। उनके बड़े नेताओं ने 1992 में इसके लिए आंदोलन और विरोध प्रदर्शन तक किया था। भाजपा के बड़े नेता अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे दिग्गजों के मार्गदर्शन में विधायी बिल का मसौदा तैयार किया और संसद के समक्ष प्रस्तुत भी किया गया था।