नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी में चल रही आंतरिक कलह मंगलवार को और तेज हो गई, जब उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित चार बड़े नेताओं ने मुख्यमंत्री अरविंद के जरीवाल के विरोधियों पर हमला बोलते हुए गंभीर आरोप लगाया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के वक्त शांति भूषण, योगेन्द्र यादव तथा प्रशांत भूषण पार्टी को हराने में लगे हुए थे।
सिसौदिया सहित चार बड़े नेताओं का संयुक्त बयान मंगलवार को पार्टी की आधिकारिक वेबसाइट में डाला गया है जिससे साफ है कि अब दोनों खेमों के बीच समझैाते के रास्ते लगभग बंद हो गए हैं और इन तीनों संस्थापक सदस्यों पर पार्टी की गाज गिरना लगभग पक्का है। पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक 28 मार्च को बुलाई गई है और अगर तब तक स्थिति नहीं बदली तो इन तीनों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।
बयान पर सिसोदिया के अलावा गोपाल राय, पंकज गुप्ता तथा संजय सिंह के हस्ताक्षर हैं। यह बयान आप की महाराष्ट्र इकाई के नेता मयंक गांधी के ब्लाग के बाद आया है जिसमें उन्होंने प्रशांत भूषण तथा योगेन्द्र यादव को पार्टी की सर्वोच्च इकाई राजनीतिक मामलों की समिति से बाहर करने के तरीके पर सवाल उठाए थे। बयान में इन तीनों पर आरोप लगाया गया है कि इन्होंने न केवल पार्टी को हराने का षड्यंत्र किया वरन उसकी छवि को भी धूमिल किया।
बयान में इस आरोप की पुष्टि के लिए आठ उदाहरण भी दिए हैं जो यह दिखाते हैं कि इन नेताओं ने पार्टी के खिलाफ किस तरह से काम किया। बयान में कहा गया है कि चार मार्च को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को हटाने के कारणों को इस वजह से सार्वजनिक नहीं किया गया कि इससे इन दोनों के व्यक्तित्व पर विपरीत असर पड़ता।
लेकिन बैठक के बाद मीडिया में लगातार बयान दे कर माहौल बनाया जा रहा है जैसे राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने अलोकतांत्रिक और गैरजिम्मेदार तरीके से यह फैसला लिया। पार्टी के खिलाफ मीडिया में बनाए जा रहे माहौल से मजबूर हो कर पार्टी को दोनों वरिष्ठ साथियों को समिति से हटाए जाने के कारणों को सार्वजनिक करने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
बयान में इन नेताओं को हटाए जाने के जो कारण गिनाए गए हैं उनमें प्रशांत भूषण पर सीधा आरोप है कि उन्होंने दूसरे प्रदेशों के कार्यकर्ताओं को फोन करके दिल्ली में चुनाव प्रचार करने आने से यह कहकर रोका कि इस बार पार्टी को हराना कारूरी है, तभी अरविन्द का दिमाग ठिकाने आएगा। यही बात उन्होंने आशिष खेतान से भी कही थी जब उन्होंने भूषण से दिल्ली डायलाग का नेतृत्व करने का आग्रह किया था।
यही नहीं प्रशांत भूषण ने कार्यकर्ताओं को चंदा देने से भी रोका। बयान में यह भी कहा गया है कि पूरे चुनाव के दौरान भूषण बार-बार यह धमकी दे रहे थे वे प्रेस कांफ्रेंस क रके में पार्टी की तैयारियों को बर्बाद कर देंगे। उन्हें पता था की आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर है और अगर किसी भी पार्टी का एक वरिष्ठ नेता ही पार्टी के खिलाफ बोलेगा तो जीती हुई बाजी भी हार में बदल जाएगी।
संयुक्त बयान के अनुसार भूषण और उनके पिताजी को समझाने के लिए कि पार्टी के लगभग 10 बड़े नेता लगातार तीन दिन तक उनके घर जाते रहे। यही नहीं पार्टी के पास तमाम सबूत है जो दिखाते हैं कि कैसे केजरीवाल की छवि को $खराब करने के लिए यादव जी ने अखबारों में नेगेटिव $खबरें छपवाई। बयान में जो कारण गिनाए गए हैं उनमें यह भी शामिल है कि “अवाम”ने जो भाजपा द्वारा संचालित संस्था है चुनावों के दौरान आम आदमी पार्टी को बहुत बदनाम किया। लेकिन प्रशांत भूषण ने खुलकर उसका समर्थन किया था।
शांति भूषण ने तो “अवाम” के समथर्न में “आप” के खिलाफ खुलकर बयान दिए। यही नहीं चुनावों के कुछ दिन पहले शांति भूषण ने कहा कि उन्हें भाजपा की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार किरण बेदी पर अरविंद से ज्यादा भरोसा है। इसके अलावा उन्होंने केजरीवाल के खिलाफ कई बार बयान दिए।