चौराहा से ‘गणेश’ भी चले गए, ‘हरियाली’ भी स्थानांतरित हो गई, निर्धनों के आशियां बिखेर गए, सडक़ें दुरुस्त हुई, अस्पताल याद आया, सबसे सुखद पहलू तो यह कि जनप्रतिनिधि जो अक्सर शिकवे, शिकायतों और सवालों में रहे, आज सडक़ों और महकमों को टटोल रहे है।
यह जनता के दर्द का अहसास है या फिर शाबासी की दौड़। समूचा नगर अचरज में है। सौंदर्य की लूम लपेट समस्याएं जाडऩे की यह तीव्र कवायद बीस सालों में पहली बार नगर वासियों को दिखीं है। सबकुछ मुख्यमंत्री वसुधंरा राजे के तीन दिवसीय प्रवास को लेकर हो रहा है।
मैडम जी महिने में दो बार आइए ताकि जनप्रतिनिधि और प्रशासन सजग रहे, नगरवासी राहत महसूस कर सके। सुबह का वक्त था, प्रशासन व पुलिस गणेश प्रतिमाओं को रवाना करने में जुटी थीं, बताया कि मुख्यमंत्री आ रही है इसलिए गणेश को यहां से ले जाना पड़ेगा। पास में अस्थाई नर्सरी जहां सैकड़ों फूलों युक्त पौधे थे, मेडम के आगमन को देखते स्थानांतरित कर दिया। सडक़ किनारे तालाब किनारे जो निर्धन अस्थाई डेर में थे, डेरे हटा दिया, कहा कि यह सौंदर्य में दाग है।
अस्पताल जो हमेशा शिकायतों को लेकर चर्चा में रहा आज जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक पहुंच थी। डाक्टरों को चेतावनी दर चेतावनी, पीएमओ भी टेंशन में। हाल ए दफ्तर, सभी फाइलों को निबटाने की जुगत में, समय सीमा तय नहीं बस एक ही काम मेडम के आने से पूर्व सबकुछ सुखद होना चाहिए। आखिर इतने सालों तक क्या हुआ, जनता न्याय के तरसती रही, जनप्रतिनिधियों के कूड़ेदान में महज वो कागज गए जो दर्द, वेदना और न्याय की मांग के थे। आज कच्चे आशियां उजड़ रहे है, उन पक्कों का क्या होगा जो रसूख के दबदबे में है।
बिखरीं सडक़ों ने हादसों की फेहरिस्त बना दी थी, आज वे सडक़े किसी महानगर से कम नहीं। मेडम जिस मार्ग से गुजरेगी वो सभी मार्ग इन दिनों सौंदर्य से परिपूर्ण है। ये वही मार्ग है जो दर्द के तले दब अपना वजूद खोज रहे थे। जनप्रतिनिधियों के तेवर भी निराले हो गए। प्रशासनिक लहजे में सख्त और आम लोगों व जो शिकायतों की पोटली लिए है, उनके लिए अपनत्व। सिरोही न्याय मांग रहा है, जनता राहत मांग रही है मैडम जी, महिने में दो बार आइए, वर्ना आपके जाते ही ढर्रा क्या होगा, यह जनता भी जानती है।
(मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सिरोही दौरे से पूर्व प्रशासनिक लवाजमें पर चुटकी लेता कमलेश पुरोहित का व्यंगय उनकी फेसबुक वॉल से)