सबगुरु न्यूज-आबूरोड। काम करवाकर पैसा नहीं देने की बंधुआ मजदूरी परम्परा आबूरोड में भी मिली। रेवदर की गणका रोड पर स्थित जिस न्यू टाउनशिप काॅलोनी में यह बंधुआ मजदूर मिले हैं वहां पर काॅलोनी वालों के अलावा किसी को घुसने की भी अनुमति नहीं होती थी। ठेकेदार इसी काॅलोनी में इन बंधुआ मजदूरों को रखता था ताकि वह उसकी अनुमति के बिना यहां से बाहर नहीं निकल सके।
तहसीलदार मनसुखराम डामोर व जोधपुर की स्वयंसेवी संस्था की ओर से गुरुवार को गणका रोड स्थित टाउनशिप में कार्यवाही करके वहां से तीस बंधुआ मजदूरों को छुडवाया है। इन बंधुआ श्रमिकों ने बताया कि वह यहां पर छह महीने से काम कर रहे हैं। यहां पर मध्यप्रदेश के झाबुआ, गुजरात व राजस्थान के श्रमिक तथा कारीगर वीरेन्द्र मेहता नामक ठेकेदार के पास कार्य कर रहे थे।
गत छह माह से ठेकेदार इन्हें अलग-अलग निर्माण स्थलों पर ले जाकर कार्य करवाया जाता था, काम करवाने के बाद इन्हें पैसे भी नहीं दिए जाते थे। कार्य समाप्ति के बाद शाम को टाउनशिप में लाकर छोड़ दिया जाता था। पैसों के अभाव में सभी श्रमिक विवश होकर ठेकेदार के कब्जे में रह रहे थे। जोधपुर की एक संस्थान को इन बंधुवा श्रमिकों के बारे में जानकारी मिली।
संस्थान के पदाधिकारी जून माह में आबूरोड पहुंचे और इस मामले की जांच पड़ताल की, उस समय आबूरोड में श्रमिकों के बंधुआ होने की कोई खास सूचना और सुराग नहीं मिल पाया। इन लोगों ने हार नहंी मानी और जुलाई में फिर यहां पर आए। इस बार उन्हें सफलता मिली और उन्होंने बंधुआ मजदूरों की समस्याओं को जाना।
इसके बाद एनजीओ के पदाधिकारियों ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को इन बंधवा मजदूरों के बारे में जानकारी भेजी। राष्ट्रीय मानवाधिकार द्वारा दिशा-निर्देश जारी किए गए। इसके बाद कार्यवाही कार्ययोजना तैयार की गई। एनजीओ के कार्यकर्ता व पदाधिकारियों ने तहसीलदार से सम्पर्क किया।
तहसीलदार ने मौके पर पहुंचकर कार्यवाही को अंजाम दिया। कार्यवाही के दौरान तहासीलदार ने पाया कि श्रमिक गत छह माह से बिना मजदूरी के बंधुवा मजदूर बनकर रहने को विवश है। इसपर तहसीलदार ने मौके पर पुलिस बुलवाई। सभी मजदूरों को तहसील लाकर एक एक श्रमिक की जानकारी जुटाई। इसके बाद प्रकरण की जानकारी जिला श्रम अधिकारी को दी।
-घर पहुंचाने की व्यवस्था…
इन्हें एडवांस में पांच-सात हजार रुपये दिए थे इसके बाद कोई पैसा नहीं दिया गया था। जिस काॅलोनी में यह बरामद हुए हैं, वहां पर बाहर चैकीदार रहता है कोई अंदर नहीं घुस सकता था। मुक्त कराए गए श्रमिकों को उनके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है। श्रमिकों को श्रम मंत्रालय से दी जाने वाली सहायता की कार्यवाही की जा रही है।
-मनसुखराम डामोर, तहसीलदार, आबूरोड।