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ACB raids MB hospital udaipur
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उदयपुर के MB अस्पताल में ACB का छापा, पकडा लाखों का गबन

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उदयपुर के MB अस्पताल में ACB का छापा, पकडा लाखों का गबन
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उदयपुर। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की छह टीमों ने बुधवार को महाराणा भूपाल चिकित्सालय में छापा मारा। एसीबी को राजस्थान मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी में होने वाली सशुल्क जांचों में लाखों रुपए गबन की शिकायत मिली थी। जिस पर ब्यूरो दल ने विभिन्न वार्डों एवं सशुल्क रसीदें काटने वाले काउंटरों पर कार्रवाई करते हुए रिकार्ड सीज कर दिया, वहीं ठेकेदार सहित कई कर्मचारियों को हिरासत में लेकर पूछताछ जारी है।

एसीबी सूत्रों ने बताया कि उन्हेंं संभाग के सबसे बड़े एमबी हॉस्पीटल में राजस्थान मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी की ओर से की जाने वाली सशुल्क जांचों में गबन की शिकायत मिली थी। जिसमें बताया कि सशुल्क जांच के लिए तीन रसीदें निकाली जाती है जिसमें दो रसीदों पर सशुल्क लिखा होता है जबकि आखिरी तथा तीसरी रसीद पर कारीगरी करते हुए नि:शुल्क बताया जाता है।

इस तरह मरीज एवं उनके परिजनों से जांच के नाम पैसे ले लिए जाते हैं जबकि राज्य सरकार के पास नि:शुल्क जांच की रसीद भेज दी जाती। जो पैसा आता उसे गबन किया जाता रहा। यहां तक शिकायत थी कि चिकित्सालय अधिकारी भी इस मामले में आंखें मूंदकर हस्ताक्षर करते रहे ताकि उन्हें गबन राशि का हिस्सा मिल सकें।

मिली शिकायत की पुष्टि के बाद बुधवार दोपहर संभाग से ब्यूरो की छह टीमों ने अस्पताल में एक साथ छापा मारा। जिसमें अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बृजेश सोनी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्पेशल यूनिट उमेश ओझा, सीआईडी यूनिट राजीव जोशी के साथ-साथ राजसमंद और चित्तौड़ से भी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक की टीमें भी शामिल थीं।

ब्यूरो की टीमों ने अधीक्षक कार्यालय, कार्डियोलॉजी विभाग, इमरजेंसी के साथ-साथ अन्य वार्डों में ठेकेदार गोपाल व्यास सिक्योरिटी एजेन्सी पर दबिश देकर रिकॉर्ड जब्त कर लिया। जिसमें पाया गया जिन मरीजों को पैसे लेकर सशुल्क जांच की रसीद दी थी, उन्हीं मरीजों की तीसरी रसीद पर बीपीएल नम्बर डालकर जांच को निशुल्क दिया गया। ब्यूरो अधिकारियों ने ठेकेदार गोपाल व्यास और उसके कर्मचारियों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। जिनसे पूछताछ की जा रही है।

चिकित्सालय अधिकारी भी आएंगे लपेटे में

राजस्थान मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी से नि:शुल्क जांचों के लिए जारी किए जाने वाले पैसों में चिकित्सालय के अधिकारियों का महत्वपूर्ण रोल होता है। इसी कारण ब्यूरो की इस जांच में चिकित्सालय के वर्तमान और पूर्व के अधिकारी भी आएंगे।

जोधपुर जेडीए में 250 करोड का गबन, राजेन्द्र सोलंकी व अन्य पर एक और एफआईआर
जोधपुर। एसीबी ने जेडीए के पूर्व अध्यक्ष राजेन्द्रसिंह सोलंकी के खिलाफ एक और एफआईआर दर्ज की है। करीब ढाई सौ करोड रुपये के गबन के इस मामले में शफी मोहम्मद कुरैशी पीएस नागा, के के माथुर, आरपी शर्मा को भी आरोपी बनाया गया है।
एसीबी आईजी ने बताया कि प्राथमिक जांच में पाया गया कि 13.08.2013 को जोधपुर विकास प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में पूर्व से निर्धारित 15 एजेंडा के अलावा किसी अन्य एजेंडा पर चर्चा नहीं की गई, लेकिन पी.एस. नागा के हस्ताक्षर से 44 अगस्त, 13 को जारी बोर्ड बैठक की कार्यवाही में कुल 54 प्रस्तावों पर निर्णय उल्लेखित है। पूर्व प्रस्तावित 15 प्रस्तावों के अलावा शेष 39 प्रस्तावों को पीएस नागा ने मनमर्जी तरीके से अपने कार्यालय में, अपने आदेश से टाईप करवा कर शामिल करावाया था। आयुक्त एवं अध्यक्ष से अनुमोदित होने के कारण षड्यन्त्रपूर्वक जारी किया गया। कुछ प्रस्तावों में कई कार्यों को एक ही प्रस्ताव में शामिल किया गया। प्रस्ताव सं. 10 में 97 कार्यों की संशोधित प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति शामिल कर ली गई है।
इसी तरह 23 व 24 सितम्बर 2013 की बोर्ड बैठक में पूर्व से निर्धारित 34 एजेंडा के अलावा किसी अन्य एजेंडा पर चर्चा नहीं की गई, लेकिन पी.एस. नागा के हस्ताक्षरों से 24 सितम्बर को जारी बोर्ड बैठक की कार्यवाही विवरण में कुल 63 प्रस्तावोें पर निर्णय उल्लेखित है। पूर्व प्रस्तावित 34 प्रस्तावों के अलावा शेष 29 प्रस्तावों को पीएस नागा ने मनमर्जी तरीके से अपने कार्यालय में, अपने आदेश से टाईप करवाकर शामिल कराया, जो आयुक्त एवं अध्यक्ष से अनुमोदित होने के कारण षड्यन्त्रपूर्वक जारी किया गया। कुछ प्रस्तावों में कई कार्यों को एक ही प्रस्ताव में शामिल किया गया। प्रस्ताव सं. 47 इसका उदहारण है जिसमें 69 कार्यों की संशोधित प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति शामिल है।

इसी तरह 13 अगस्त, 13 की बोर्ड बैठक कार्यवाही विवरण 22 अगस्त 2013 में प्रस्ताव संख्या 03 में प्राधिकरण की वित्तीय स्थिति के सम्बन्ध में विचार-विमर्श उल्लेखित है। इसमें उल्लेख है कि प्राधिकरण की वित्तीय स्थिति निकट भविष्य में भुगतान असंतुलन के दौर में होने की सम्भावना है। लगभग 1320 करोड रुपये की देनदारियों की तुलना में मात्र लगभग 110 करोड़ रुपये की ही प्राप्तियां हुई है और एस.बी.बी.जे. जोधपुर से ओवरड्राफ्ट 30 करोड रुपये की सीमा से बढाकर 60 करोड रुपये करने पर सहमति हुई। इस प्रकार गम्भीर वित्तीय संकट की जानकारी उपरोक्त पांचों आरोपियों को थी। फिर भी बोर्ड बैठक कार्यवाही विवरण 22.08.2013 में उल्लेखित लगभग 456 पूर्व स्वीकृत कार्यों की संशोधित ए. एण्ड एफ. जारी करने की स्वीकृति दी।

इन 456 कार्यों की मूल प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति 250.51 करोड रू. थी। प्राथमिक जांच से ज्ञात हुआ है कि इन कार्यों की मूल प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति का उपयोग किये बिना ही बिना किसी मांग के, बिना संशोधित तकमिना के, एजेंडा में उक्त कार्य रखे बिना ही, बोर्ड मीटिंग में बिना विचार किये, मूल प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति को लगभग 250.51 करोड रुपये से बढाकर लगभग 357.91 करोड रुपये कर दी गई। इसके फलस्वरूप इन कार्यों में आर.टी.पी.पी. एक्ट 2012 एवं आर.टी.पी.पी. नियम 2013 का खुल्लम-खुल्ला उल्लघन कर संवेदकों को एवं स्वयं को सदोष लाभ पहुंचाया गया।
इसी प्रकार बोर्ड बैठक कार्यवाही विवरण दिनांक 24.09.2013 में लगभग 266 पूर्व स्वीकृत कार्यों की अतिरिक्त संशोधित वित्तीय स्वीकृति लगभग 142.84 करोड रू. की स्वीकृत कर दी। इन कार्यों की मूल प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति का उपयोग किये बिना ही, बिना किसी मांग, बिना संशोधित तकमिना के, बोर्ड में बिना चर्चा के मूल प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति को लगभग 146.33 करोड रू. से बढाकर लगभग 289.17 करोड रू. कर दी गई।
इस प्रकार उक्त दोनो बैठक कार्यवाही विवरण अवैध तरीके से तैयार कर पूर्व स्वीकृत मूल प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति को लगभग 396.84 करोड़ से बढ़ाकर लगभग 647.08 करोड़ किया जाकर 250.24 करोड़ रूपये की जो.वि.प्रा. को सदोष हानि कारित की।
जोविप्रा की वित्तीय स्थिति की जानकारी निदेशक वित्त आर. पी. शर्मा को भलीभांति थी। निदेशक वित्त का दायित्व जोविप्रा की आय व व्यय के सम्बन्ध में जोविप्रा बोर्ड को अवगत कराना था। बावजूद इसके बोर्ड बैठक कार्यवाही विवरण दिनांक 22.08.2013 द्वारा नियम विरुद्ध जारी अतिरिक्त संशोधित वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृति के अनुशरण में संवेदकों द्वारा प्रस्तुत बिल पारित कर भुगतान करा दिया गया, जबकि पूर्व में स्वीकृत मूल प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति की राशि भी पूर्ण उपयोग नहीं हुआ था। इसके अतिरिक्त, कुछ कार्यों की राशि का भुगतान संशोधित ए एण्ड एफ जारी हुऐ बिना ही किया जाकर जोविप्रा को सदोष हानि कारित की।
इसके फलस्वरूप, संवेदकों एवं जोविप्रा के अधिकारीगण, कर्मचारीगण को अनुचित लाभ एवं प्राधिकरण को सदोष हानि कारित की गई। इन दो बैठको में लगभग 250.24 करोड रुपये की अतिरिक्त वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृति षड्यन्त्रपूर्वक जारी कर सुनियोजित तरीके से संवेदकों को अनुचित लाभ पहुचाया गया। जोविप्रा के कॉलम 7 में नामित आरोपित अधिकारीगण के अलावा अन्य लोक सेवकों एवं संवेदकों द्वारा आपसी षड्यन्त्रपूर्वक विधि द्वारा स्थापित नियमों एवं प्रक्रियाओं का पूर्णतया जानबूझकर चहेते संवेदकों एवं स्वयं को सदोष लाभ कारित करने के लिए किया गया है।
इस तरह जोविप्रा के उपरोक्त अधिकारीगण द्वारा निर्माण कार्यों की स्वीकृति एवं क्रियान्वयन में नियमों की जानबूझकर पालना नहीं कर हर स्तर पर भ्रष्टाचार किया। उक्त अनियमितताएं केवल प्रक्रियात्मक ही नहीं की गई अपितु, प्रत्येक अनियमितता की पृष्ठभूमि में दुर्भावी उद्देश्य था। आपराधिक षड्यन्त्र प्रत्येक अनुभाग व स्तर पर किया गया। वित्तीय स्तर, नीति निर्धारण हेतु सर्वोच्च प्रशासनिक स्तर व कार्यों के क्रियान्वयन के स्तर पर व्यापक भ्रष्टाचार किया जाकर जोविप्रा/राज्य सरकार को सदोष भारी आर्थिक हानि कारित की गई।
ऐसे में तत्कालीन अध्यक्ष राजेन्द्रसिंह सोलंकी, तत्कालीन आयुक्त शफी मोहम्मद कुरैशी तत्कालीन पी.एस. नागा, तत्कालीन अभियात्रिकी निदेशक के.के. माथुर, वित्त निदेशक आर.पी. शर्मा के खिलाफ धारा 13(1)सी, डी, 13(2) पी.सी.एक्ट 1988 व 193, 409 व 120बी भादसं में प्रकरण दर्ज करके अनुसंधान किया जा रहा है।