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सरकारी जमीन पर ट्यूबवैल खोद बेच रहे थे पानी - Sabguru News
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सरकारी जमीन पर ट्यूबवैल खोद बेच रहे थे पानी

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सरकारी जमीन पर ट्यूबवैल खोद बेच रहे थे पानी
ACB successful raid in sirohi
ACB successful raid in sirohi

सिरोही। नगर परिषद की जमीन पर  ट्यूबवैल खोदकर उससे निकलने वाले पानी को गर्मी में कमाई का स्रोत बनाने के सनसनीखेज मामले क खुलासा बुध्वार को सिरोही मेन कि गयी एसीबी की कार्र्वाई मे हुआ। शहर के एक जागरूक व्यक्ति की शिकायत पर एसीबी सिरोही ब्यूरो के एएसपी अर्जुनसिंह राजपुरोहित ने इस गोरखधंधे को उजागर किया।

इस जांच के छींटे नगर परिषद सिरोही के नेताओं व कर्मचारियों पर भी पड़ सकते हैं। सूत्रों के अनुसार जो व्यक्ति यह काम कर रहा था, उसके संबंध नगर परिषद सिरोही के एक कार्मिक तथा उस कार्मिक के माध्यम से एक जनप्रतिनिधि से जुड़ रहे हैं।
नगर परिषद परिसर में जैसे ही बुधवार सवेरे एसीबी के एएसपी अर्जुनसिंह राजपुरोहित पहुंचे वैसे ही पूरे शहर को वो मिल गया था जिसका उन्हे लम्बे समय से इंतेजार था। लोगों को लगा कि नगर परिषद में व्याप्त अनियमितता पर गाज गिरेगी, लेकिन यह मामला कुछ और ही निकला, ये बात अलग है कि इसकी जद मे आने से नगर परिषद के कार्मिक अभी भी नही बच पायेंगे।

एएसपी अर्जुनसिंह ने बताया कि इस मामले में परिवादी ने बताया था कि सार्दुलपुरा इलाके में एक परिवार ने नगज परिषद की जमीन  पर कब्जा करके दो ट्यूबवैल खुदवाए हैं। इस ट्यूबवैल से प्रतिदिन बीस से पच्चीस टैंकर पानी बेच रहा है। परिवाद मिलने पर उन्होंने इसकी जांच करवाई तो प्रथम दृष्टया यह मामला सही पाया गया।

बुधवार सवेरे इस प्रकरण से जुडे दस्तावेजो की जांच के लिये एसीबी टीम नगर परिषद पहुुंची। इस भूमि पर के सम्बन्ध मे पूरी जानकारी ली। एएसपी अर्जुनसिंह ने बताया कि इस मामले में परिवादी ने बताया था कि सार्दुलपुरा इलाके में एक परिवार ने सरकारी भूमि पर कब्जा करके दो ट्यूबवैल खुदवाए हैं। इस ट्यूबवैल से प्रतिदिन बीस से पच्चीस टैंकर पानी बेच रहा है। परिवाद मिलने पर उन्होंने इसकी जांच करवाई तो प्रथम दृष्टया यह मामला सही पाया गया। इस पर वह बुधवार सवेरे नगर परिषद पहुुंचे। इस भूमि की जानकारी ली और कब्जेधारी व्यक्ति को नगर परिषद से जारी पट्टे की जानकारी ली। दस्तावेजों की जांच के बाद उन्होंने नगर परिषद में ही पटवारी और डिस्कॉम के एईएन आईडी चारण को बुलवाया। यह सब लोग मौके पर पहुंचे तो वहां पर दो ट्यूबवैल खुदे हुए थे। जमीन के अंदर से इसके तार एक कमरे में जा रहे थे। इस कमरे में एक तो दो पैनल लगे हुए थे और इस पर विद्युत कनेक्शन किया हुआ था। पैनल के बटनों को चालू किया तो दोनों ही ट्यूबवैलों के अंदर की मोटर चल गई। इस ट्यूबवैल से जुड़े हुए पाइप भी बरामद हुए जिनके माध्यम से टैंकरों में पानी भरा जाता था। उन्होंने बताया कि मौके पर भारी वाहनों के पहियों के कारण मिट्टी की जैसी स्थिति होती है वैसी मिली। ट्यूबवैल के अंदर साढ़े छह तथा साढे तीन हॉर्स पावर की मोटरें लगी हुई थी। इस पर उन्होंने पटवारी और नगर परिषद कार्मिकों से यह भूमि नपवाई तो आगे की जमीन तो इन लोगों के खातेदारी की निकली, लेकिन जिस स्थान पर ट्यूबवैल और पैनल था वह सरकारी जमीन थी। इसके पीछे अतिक्रमणों की भरमार थी। इस पर मौके पर मौजूद डिस्कॉम के सहायक अभियंता से इन कनेक्शनों की जांच करवाई तो इस कनेक्शन का लोड भी अनियमित निकला। इस पर कब्जाधारी कानाराम माली, प्रभुराम माली और बाबूलाल माली पर परिवाद के अनुसार अग्रिम कार्रवाई शुरू कर दी है।
पट्टे की भी होगी जांच
इन लोगों को नगर परिषद से 2013 में एक पट्टा भी जारी किया हुआ है। यह पट्टा किस तरह का है और इसकी वास्तविकता क्या है यह भी इस मामले में जांच का केन्द्र बन सकता है।
माना पनप रहा है अतिक्रमण का गोरखधंधा
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के निर्देश पर एसीबी जबरदस्त सख्त हुई है। एसीबी के डीजी ने सभी एसीबी ब्यूरो पर भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करके जनता के बीच भ्रष्टाचार मुक्त शासन की प्रतिबद्धता जताने के निर्देश दिये हैं। इसी के तहत एक जागरूक नागरिक व्यक्ति की पहल पर यह पहली कार्रवाई थी। वैसे एसीबी के एसीपी अर्जुनसिंह राजपुरोहित ने भी इस मौके का निरीक्षण करने के बाद माना कि सिरोही नगर परिषद क्षेत्र में सरकारी जमीन पर कब्जा करने का खेल जबरदस्त तरीके से चल रहा है और इसकी जानकारी वह एसीबी मुख्यालय को देंगे। सूत्रों की मानें तो इस मामले के तार भी नगर परिषद के एक कार्मिक तथा जनप्रतिनिधि से जुडे हुए हैं।

कब्जेधारी परिवार की महिला नगर परिषद के किसी कार्मिक की रिश्तेदार बताई जा रही है और यह कार्मिक नगर परिषद के किसी जनप्रतिनिधि का रिश्तेदार। यह कब्जा भी चार महीने पुराना ही माना जा रहा है। ऐसे में यदि मुख्यमंत्री तक यह बातें पहुंची तो इसकी आंच किसी जनप्रतिनिधि या कार्मिक पर भी आ सकती है। वैसे सिरोही नगर परिषद में स्टोर और कब्जे की जमीनों पर जारी किये हुए पट्टे बांटने में अनियमितता का खेल सबसे बड़ा है।

हाल ही में लगे ट्राफिक सिंगनल, पैलेस रोड पर लगी हुई बैंचें, जलदाय विभाग के चौराहे पर लगी हुई हाईमास्ट लाईट का फायदा, पूरी तरह से खाली रिद्धी-सिद्धी कॉलोनी में बनी हुई सडक़ें, सुभाष उद्यान के लाखेराव तालाब समेत अन्य स्थानों पर एम्पावर्ड कमेटी के माध्यम से जारी किये गए पट्टे, हाल ही में नगर परिषद क्षेत्र में काटे जा रहे पेड़ों की लकडिय़ों का निस्तारण जैसे कई मामले हैं जो नगर परिषद के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने सरकारी नियमों को ताक में रखकर मनमानी करते हुए किये हैं।

नेताओं से कनेक्शन!
सिरोही नगर परिषद में सरकारी जमीन पर कब्जों का गोरखधंधा सबसे ज्यादा फलाफूला है। स्थिति यह है कि इस चुनाव में तो भू-माफिया में अपने अपने व्यक्तियों को नगर परिषद बोर्ड पर कब्जा करवाने की होड़ भी लगी थी। इसके लिए बाकायदा गठजोड़ हुए और चुनावों में समर्थन भी दिया गया। लोगों की जागरूकता से कुछ लोग तो बाहर हो गए जो अंदर पहुंच गए उन पर भी नजर रखने की विशेष आवश्यकता है। फिलहाल चर्चा इस बात की भी चल रही है कि जिस खसरा संख्या 1218 से पूर्व जिला कलक्टर मदनसिंह काला ने अतिक्रमण हटाया था, उनके पट्टे जारी करने के लिए पैसे जमा कर लिये गए हैं। संभवत: इसके पट्टे जारी भी कर दिये गए हों।

इतना ही नहीं सार्दुलपुरा आवासीय कॉलोनी से अतिक्रमण खाली करवाया था, उस पर भी कब्जे फिर से हो गए हैं। वहीं नगर परिषद को दो साल पहले सिरोही राजस्व विभाग ने नगर परिषद क्षेत्र की जो जमीनें सौंपी थीं उन पर भी राजनीतिक सरपरस्ती में कब्जे करवा दिये गए हैं। इनमें जो लोग काबिज हुए हैं, वह जिला मुख्यालय के दो प्रमुख राजनीतिक व्यक्तियों से किसी ना किसी रूप से जुडे हुए हैं। इसकी भनक यदि मुख्यमंत्री तक पहुंची तो इनके राजनीतिक भविष्य भी खतरे में पड़ सकते हैं। 2011 से मार्च, 2015 तक नगर परिषद की ओर से जारी अतिक्रमण नियमन के पट्टों की जांच में ही सरकारी जमीनों को खुर्दबुर्द करने का बड़ा गोरखधंधा उजागर हो सकता है।
डीएलबी में ही अटका देते हैं जांच
नगर परिषद में व्याप्त भ्रष्टाचार की जड़ डीएलबी और डीडीआर कार्यालयों में है। हर नगर परिषद कार्मिक की प्राथमिकता यह होती है कि वह जैसे तैसे उसके खिलाफ चल रही जांचों को डीएलबी भिजवा देवे। वहां पर ऐसे दलाल बैठे रहते हैं जो नगर निकायों के स्टोर के ठेकों के माध्यम से बिना आवश्यकता वाले सामानों की सप्लाई करके माल कमाते हैं और डीएलबी में इन जांचों को रुकवा देते हैं। सिरोही नगर परिषद में पूर्व डीडीआर अजरा परवीन की ओर से की गई जांच का डीएलबी में जाकर क्या हुआ आज तीन साल निकलने पर भी पता नहीं चला। बोर्ड ने डीएलबी की ओर से एपीओ दो कार्मिकों को क्यों रोका हुआ है, यह सवाल भी शहरवासियों के जेहन में कौंध रहा है।
इनका कहना है…
कब्जे की जमीन पर ट्यूबवैल खोदे हुए थे और पैनल लगाए हुए थे। नगर परिषद, राजस्व व डिस्कॉम के कार्मिकों की मौजूदगी में यह सब कार्रवाई करके पूरी तस्दीक की गई। क्षेत्र में जबरदस्त अतिक्रमण किया हुआ है। इसकी सूचना भी उच्चाधिकारियों को देकर मार्गदर्शन मांगेंगें। किसी भी व्यक्ति को किसी भी विभाग में कोई भ्रष्टाचार के सबूत मिलें और दस्तावेज हों तो वह निसंकोच एसीबी में आकर शिकायत करे।
अर्जुनसिंह राजपुरोहित
एएसपी, एसीबी, सिरोही।

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