इस्लामाबाद। पाकिस्तान में सरकार की सरपरस्ती में फलते-फूलते आतंकवदियों के खिलाफ आवाज बुलंद होने लगी है। अब खास लोग भी सरकार की इस नित पर सवाल उठाने लगे हैं।
सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग (पीएमएल) के एक वरिष्ठ सदस्य ने मांग की कि सरकार को जमात-उद-दवा प्रमुख हाफिज सईद जैसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
समाचारपत्र डॉन के मुताबिक विदेश मामलों से संबद्ध संसद की स्थायी समिति के सदस्य राणा मुहम्मद अफजल ने गुरुवार को समिति की बैठक के दौरान बड़े ही तल्ख अंदाज में सवाल किया किद आखिर हाफिज सईद हमारे लिए कौन से अंडे दे रहा है कि हम उसे पाल-पोस रहे हैं? हमारी विदेश नीति की हालत का इसी से पता चलता है हम हाफिज सईद को तो काबू कर नहीं पाते।
उन्होंने कहा, भारत ने हाफिज सईद के खिलाफ ऐसी मजबूत घेराबंदी कर दी है कि कश्मीर पर बैठक के दौरान विदेशी प्रतिनिधियों ने मुझसे कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद की असली जड़ तो यही शख्स है।
राणा ने हाल की अपनी फ्रांस यात्रा का जिक्र किया और कहा कि मुझसे कश्मीर में बिगड़ते हालात के बारे में बातचीत के दौरान कहा गया कि हाफिज सईद का नाम विदेशी प्रतिनिधि बार-बार उठाते हैं। आप इसमें क्या कर रहे हैं?
उन्होंने कहा, हमें यह सोचना होगा कि हमारे कश्मीर हित के लिए हाफिज सईद अच्छा है या बुरा? इस तरह के प्रतिबंधित संगठन पाकिस्तान के लिए सिरदर्द और शर्मिंदगी का सबब बन गए हैं।
अगर ऐसे शख्स के कारण भारत को मौका मिल जाता है कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को ब्लैकमेल करे तो हम ऐसे कारण को भला क्यों रहने दें। उन्होंने विदेश सचिव से सवाल किया, यह मेरी समझ से परे है कि आखिर हमारी विदेश नीति खुद को हाफिज सईद से अलग क्यों नहीं दिखा सकी।
डॉन ने बोली मोदी की भाषा
पाकिस्तानी अखबार डॉन ने अपने संपादकीय में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दृष्टि का जिक्र किया है। समाचारपत्र ने लिखा, यह अच्छी बात है कि भारत और पाकिस्तान में गरीबी का मुद्दा मुख्यधारा में आया।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी पहल करते हुए हाल ही में पाकिस्तान के हुक्मरानों को कहा कि अगर युद्ध ही करना है तो गरीबी, अशिक्षा और शिशु मृत्यु दर के खिलाफ कीजिए। फिर देखिए कौन जीतता है, भारत या पाकिस्तान।
इसके जवाब में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा कि इस चुनौती का सामना खून और गोला-बारूद से नहीं हो सकता। अखबार ने कहा, दोनों नेताओं के सामने जो वास्तविक चुनौती है, वो उनसे कहीं बड़ी है जो दोनों नेता एक-दूसरे में देखते हैं।
दरअसल, ये दोनों देश गरीब हैं और करीब 40 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे है। अगर सीमा पर तनातनी के इस माहौल में गरीबी को मिटाने जैसी सकारात्मक बातों पर चर्चा हो तो क्या ही अच्छा हो।
बोए पेड़ बबूल का….
पाकिस्तानी अखबार दि न्यूज में जाने-माने विश्लेषक आयाज आमिर ने एक लेख लिखा है जिसमें कहा गया है कि उरी हमले के बाद के माहौल में पाकिस्तान को एक बात जरूर सोचनी चाहिए। आखिर भारत बिना कोई ठोस जांच-पड़ताल के पाकिस्तान को आरोपी कैसे ठहरा देता है।
लेखक ने कहा है कि दरअसल इसकी जमीन खुद पाकिस्तान ने तैयार की है। उसकी धरती पर हाफिज सईद और मौलाना मसूद अजहर जैसे अतिवादी लोग सक्रिय हैं।
पाकिस्तानी जमीं पर महज इनकी मौजूदगी भारत को उसे दुनिया के सामने जिम्मेदारी बताने का बहाना दे देती है। अब वक्त आ गया है जब आईएसआई और सेना यह समझे कि जेहादी गतिविधियों को हवा देने के दिन बीत गए।
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