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adarsh charitable foundation come forward to save trees in sirohi
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पेडों को बचाने के लिए आगे आई ‘आदर्श’, अब सिरोहीवासियों को जागने की जरूरत

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पेडों को बचाने के लिए आगे आई ‘आदर्श’, अब सिरोहीवासियों को जागने की जरूरत
letter written to eo sirohi to stop falling tree in sirohi for gaurav path
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सबगुरु न्यूज-सिरोही। अहसान फरामोशी की इससे ज्यादा मिसाल कोई नहीं होगी कि सिरोही के लोग उन्हें तेज धूप में छाया देने वाले पेडों का अह्सान चुकाने और बचाने के लिए आगे नहीं आएं, वो भी तब जबकि इन पेडो को रीलोकेट करने मे आने वाले खर्चे को उथाने के लिए भी एक संस्था आगे आ चुकी है। वैसे इन पेडों के अहसान को चुकाने के लिए आदर्श चेरिटेबल फाउंडेशन ने आगे कदम बढाया है।

 

फाउंडेशन के संस्थापक मुकेश मोदी ने सिरोही नगर परिषद आयुक्त समेत जिला कलक्टर, सिरोही उपखण्ड अधिकारी, तहसीलदार और पीडब्ल्यूडी के अभियंता को पत्र लिखकर सिरोही शहर में गौरव पथ के निर्माण के लिए काटे जा रहे पेडों की कटाई को तुरंत रुकवाने की आवश्यकता जताई है।
मोदी ने अपने पत्र में लिखा कि आदर्श चेरीटेबल फाउंडेशन इन पेडों को रिलोकेशन में आने आने वाले खर्चे को उठाने के लिए तैयार हैं। उन्होंने पत्र के माध्यम से बताया कि सिरोही शहर में हरे-भरे पेडों को काटा जा रहा है। इससे पर्यावरण पर भी विपरीत प्रभाव पड रहा है।

शहर का सौंदर्यीकरण समाप्त हो रहा है और इन पेडों पर रहने वाले पक्षियों के आश्रय भी नष्ट हो रहे हैं। उन्होंने लिखा कि फाउण्डेशन इन पेडों को स्थानांतरित करवाने को तैयार है। इसमें आने वाले व्यय को उठाने के लिए भी तैयार है। ऐसे में फाउण्डेशन के संस्थापक ने सिरोही के हित और पर्यावरण की सुरक्षा के मद्देनजर इन वर्षों पुराने पेडों को कटवाने की कार्रवाई रोककर इन्हें स्थानांतरित करवाने की अनुमति मांगी है।
-राजस्थान में होगा अपने आपमें अभिनव प्रयोग
सिरोही के हित में यदि प्रशासन और पीडब्ल्यूडी सिरोही में पेडों को काटने की बजाय इन्हें स्थानांतरित करने के लिए अनुमति प्रदान करती है तो राजस्थान के इतिहास में सिरोही का नाम भी स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जा सकता है। सिरोही में घरों को  तोडेे बिना मूल रूप में ही एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करने का प्रयोग भी हुआ है।

और अब पेडों को काटे बिना उन्हें रीलोकेट करके पर्यावरण को बचाने के मामले में भी सिरोही और सिरोहीवासियों का नाम स्वर्णिम अक्षरों में आ सकता है। प्रशासन की इस पहल से पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता भी प्रदर्शित होगी।