न्यूयार्क। वैसे किशोर जिनकी पहुंच पोर्न तक होती है, उनमें लिंगभेदी और महिलाओं के ऊपर प्रभुत्व स्थापित करने का रवैया विकसित होने की संभावना ज्यादा होती है। ऐसा शोधकर्ताओं का कहना है।
शोध के निष्कर्षो से पता चला है कि किशोरों तक पोर्न की पहुंच से उनमें महिलाओं के ऊपर प्रभुत्व स्थापित करने का रवैया विकसित होता है, जबकि वृद्ध पुरुषों में संकीर्णता से जुड़ा होता है।
अमेरिका के नेब्रासका विश्वविद्यालय के शोधार्थी अलसा बिसमन का कहना है कि हमने पाया है कि जितनी कम उम्र में किशोर पोर्न देखता है, उसमें महिलाओं पर प्रभुत्व स्थापित करने का रवैया उतना ज्यादा विकसित होता है।
बिसमन का कहना है कि शुरुआती उम्र में ही पोर्न देखने वाले पुरुष की जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, उसका रवैया यौन उच्छृंखलता वाला होता जाता है।
इस अध्ययन को वाशिंगटन में अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के 125वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में प्रस्तुत किया गया। शोध दल ने इसके लिए 17 से 54 साल की उम्र के 330 अंडरग्रैजुएट पुरुषों का अध्ययन किया।
इस समूह के पुरुषों की पोर्न देखने की औसत उम्र 13.37 साल थी, जबकि पोर्न देखने की सबसे कम उम्र एक ने 5 साल बताई और सबसे ज्यादा उम्र एक ने 26 साल बताई।
ज्यादातर पुरुषों ने माना कि पोर्न से उनका पहला वास्ता आकस्मिक (43.5 फीसदी) था, जबकि जानबूझकर पहली बार पोर्न देखने वाले 33.4 फीसदी थे और जिन्हें जबरदस्ती पोर्न दिखाया गया वे 17.2 फीसदी थे। 6 फीसदी प्रतिभागियों ने यह जानकारी नहीं दी कि पहली बार उन्होंने किस तरह से पोर्न देखा था।
शोध की सहलेखिका चेरिसी रिचर्ड्सन के मुताबिक शोध के निष्कर्षो से पता चलता है कि पोर्न देखने से हेट्रोसेक्सुअल पुरुषों (विपरीत लिंग से संबंध बनाने वाले पुरुष) के विचारों पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है, खासतौर से सेक्स भूमिकाओं के बारे में उनके विचार ज्यादा प्रभावित होते हैं।
इस अध्ययन में पुरुषों के पोर्न देखने से उनके व्यवहार पर हुए असर के बारे में अधिक जानने से महिलाओं को यौन दुव्यर्वहार से बचाने के प्रयासों को मदद मिलेगी।
रिचर्डसन का कहना है कि इस अध्ययन से पोर्नग्राफी देखने वाले हेट्रोसेक्सुअल युवाओं के विभिन्न भावनात्मक और सामाजिक मुद्दों के इलाज में मदद मिलेगी।