नई दिल्ली। संसद के हमले के आरोप में फांसी पर लटकाया गया आतंकी अफजल गुरु अब भाजपा के बाद कांग्रेस के लिए भी मुश्किल पैदा कर सकता है। पीडीपी सांसदों ने जहां अफजल गुरु के शव के अवशेषों को उसके परिजनों को सौंपकर कश्मीर में पार्टी की सहयोगी भाजपा के मुसीबत खडी की थी वही मंगलवार को संसद परिसर में कांग्रेस नेता मणिशंकर अययर का बयान अब कांग्रेस के लिए मुसीबत खडी कर सकता है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व केन्द्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर ने मंगलवार को संसद परिसर में कहा था कि अफजल गुरु के खिलाफ कोई प्रमाण नहीं था, फिर भी उसे फांसी पर लटकाया गया। उन्होंने कहा कि उसे फांसी दिये जाने के समय वे दुखी थे। अय्यर ने कहा कि जो हुआ सो हुआ, अब उसके शव के अवशेषों को उसके परिजनों को सौंप दिया जाना चाहिये। उल्लेखनीय है कि अफजल गुरु के मुद्दे पर ही मंगलवार को कांग्रेस ने सरकार की लोकसभा में जबरदस्त घेराबंदी की और इस पूरे मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बयान की मांग भी कर डाली।
मणिशंकर के इस बयान पर भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने कहा है कि कांग्रेस के दोहरे चेहरे हैं। बाटला इनकाउंटर में कांग्रेस का चेहरा देश ने देखा है। आंतकवादियों के संरक्षित करनेवालों को देश से माफी मांगनी होगी।
शिवसेना नेता संजय राउत ने मणिशंकर अय्यर के बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि अगर उन्हें लगता है कि अफजल गुरु के साथ अन्याय हुआ है तो वो ऐसे बयान पाकिस्तान में जाकर दें।
उधर, कांग्रेस ने कहा है कि अफजल को फांसी देने का फैसला कानूनी था। कांग्रेस नेता अंबिका सोनी ने कहा कि अफजल के साथ कांग्रेस ने कुछ नहीं किया, जो हुआ कानून के मुताबिक हुआ। गौरतलब है कि पिछली मनमोहन सरकार ने अफजल को फांसी देने का फैसला लिया था। उसे 9 फरवरी 2013 को तिहाघ् जेल में फांसी दी गई थी और वहीं दफन कर दिया गया था। लेकिन कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता द्वारा दिया ये बयान काफी हैरान करने वाला है।
पीडीपी की मांग को गृह मंत्रालय ने किया खारिज
गृह मंत्रालय ने अफजल गुरु के अवशेषों को उसके परिवार जन को सौंपने की पीडीपी की मांग को नकारते हुए कहा कि उसका अवशेष राजनीतिक कारणों से मांगा जा रहा है और यह अस्वीकार्य है।
जानकारी के अनुसार सूत्रों के अनुसार गृह मंत्रालय का कहना है कि अफजल गुरु के अवशेष उसके परिवार को भी नहीं सौंपे जा सकते हैं, क्योंकि अफजल का शरीर जेल के नियमों के तहत ऐसी कब्र में दफनाया जा चुका है, जिसे चिह्नित नहीं किया जा सकता। गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि अलगाववादी उसे घाटी में शहीद के रूप में पेश कर सकते हैं। साथ ही उसका स्मारक भी बनाया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि अफजल गुरु पर संसद पर 2001 में हुए हमले का आरोप था और इस मामले में उसे 2013 में फांसी दी गयी।
जम्मू कश्मीर में पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार बनने के दूसरे दिन ही पीडीपी के आठ विधायकों ने संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु के अवशेषों उसके परिजनों को सौंपने की मांग की थी।
इधर, गीतकार व राज्यसभा सांसद जावेद अख्तर ने कहा कि उनके परिजन अभी तक अवशेषों की मांग कर रहे हैं, तो उन्हें अवशेष सौंप दिया जाना चाहिये। यह उनका हक है और इसे लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिये और न ही इसे मुद्दा बनाया जाना चाहिए।