नई दिल्ली। सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) को पूरे असम और मेघालय के 20 किलोमीटर की रेंज में फिर से 6 महीने के लिए बढ़ा दिया गया है।
गृह मंत्रालय ने एक राजपत्रित अधिसूचना में कहा कि कि असम में भूमिगत संगठनों द्वारा हिंसक घटनाओ की वजह से कानून व्यवस्था अभी भी एक चिंता का विषय बनी हुई हैं और जनवरी-सितंबर 2016 के दौरान विभिन्न आतंकवादी समूहों की हिंसा की 66 घटनाओं में असम में 29 लोगों की हत्या हुई।
अफ्सपा वर्ष 1958 में पहली बार अस्तित्व में आया था जब नागा उग्रवाद पर नियंत्रण करने के लिए आर्मी के साथ राज्य और केंद्रीय बल को गोली मारने, घरों की तलाशी लेने के साथ ही उस संपत्ति को अवैध घोषित करने का आदेश दिया गया था जिसका प्रयोग उग्रवादी करते आए थे। अफस्पा के तहत सुरक्षा बलों को तलाशी के लिए वारंट की जरूरत नहीं होती।
असम, जम्मू कश्मीर, नागालैंड और इंफाल म्यूनिसिपल इलाके को छोड़कर पूरे मणिपुर में यह कानून लागू है। वहीं अरुणाचल प्रदेश के तिराप, छांगलांग और लांगडिंग जिले और असम से लगी सीमा पर यह कानून लागू है। वहीं मेघालय में भी सिर्फ असम से लगती सीमा पर यह कानून लागू है।
अफस्पा के विरोध में 15 वर्षों से अनशन पर बैठी इरोम की रिहाई राज्य या केंद्र सरकार उस इलाके को तनावपूर्ण इलाका मानती है जहां पर किन्हीं वजहों से अलग-अलग धर्मों, जाति, विभिन्न भाषाओं के बोलने वालों के बीच विवाद रहता है।