सबगुरु न्यूज। हिन्दू धर्म में सोमवार को यानी 18 दिसंबर को आने वाली अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है। इससे पहले 2005 में सोमवती अमावस्या थी। पौष महीने में सोमवती अमावस्या 12 साल बाद पड़ रही है। यह संयोग इससे पहले साल 2005 में 10 जनवरी को था।
शास्त्रों में कहा गया है कि माघ, पौष के महीने में नदी या सरोवर में सुबह स्नान कर भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से अमोघ फल प्राप्त होता है। खासकर अमावस्या और सोमवती अमावस्या का यह पुण्य को कई हजार गुना बढ़ा देता है।
पौष माह में सूर्य धनु राशि में होते हैं जिससे यह माह बहुत अच्छा माना जाता है। सोमवार को भगवान शिवजी का दिन माना जाता है। सोमवती अमावस्या तो पूर्णरूप से भगवान शिवजी को समर्पित होती है। आज के दिन गंगा स्नान को बहुत ही शुभ माना गया है। मान्यता है कि गंगा जाना संभव न हो तो पास की नदी या सरोवर में स्नान करना चाहिए। इसके बाद भगवान शिव का अभिषेक और पूजा अराधना करनी चाहिए।
जिन लोगों की कुंडली में अमावस्या दोष, काल सर्प दोष या विष योग हैं वो लोग इस दिन उपाय से दोष को खत्म कर सकते हैं। पितरों को शांत करने के लिए यह अमावस्या बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस दिन सूर्य देव को तांबे के बर्तन में गंगा जल में लाल चंदन मिलाकर ‘ओ पितृभ्य नमः ‘ का मंत्र पढ़ते हुए तीन बार अर्घ्य देना फलदायी माना जाता है।
कहा जाता है इस उपाय से पितर शांत हो जाते हैं। इसके अलावा इस अमावस्या के दिन दान-पुण्य करने से पितर दोष खत्म हो जाते हैं। कहा जाता है इस दिन पितरों को शांत करने से घर मेंं सुख-शांति का वास होता है।