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मंदिर बचाओ संघर्ष समिति ने सरकार को दिया 7 दिन का समय - Sabguru News
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मंदिर बचाओ संघर्ष समिति ने सरकार को दिया 7 दिन का समय

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मंदिर बचाओ संघर्ष समिति ने  सरकार को दिया 7 दिन का समय
after chakka jam, mandir bachao samiti give govt 7 days to heed their demands
after chakka jam, mandir bachao samiti give govt 7 days to heed their demands
after chakka jam, mandir bachao samiti give govt 7 days to heed their demands

जयपुर। राजधानी में मंदिर तोड़ने के विरोध में मंदिर बचाओं संघर्ष समिति को ओर से दो घंटे का चक्काजाम सफल रहा। संघर्ष समिति ने सरकार के सामने आठ मांगे रखी है इन पर विचार करने के लिए सरकार को 7 दिन का समय दिया। मांगे पूरी नहीं होने पर सात दिन बाद आंदोलन के अगले चरण की घोषणा करने की बात कही।

संघर्ष समिति के संयोजक बद्रीनारायण चौधरी ने गुरुवार को पत्रकारों से चर्चा के दौरान दावा किया है कि समिति ने चक्काजाम के लिए 76 स्थान चिन्हित किए थे लेकिन अनेक स्थानों पर समाज ने स्वत जाम लगाया और इस कारण सौ से अधिक स्थानों पर चक्काजाम हुआ। उन्होंने आंदोलन में सहयोग करने वाले शहर की जनता का आभार माना। वहीं किसी भी कष्ट हुआ है तो उसके लिए माफी भी मांगी है।

उन्होंने कहा कि चक्काजाम में शामिल हुए समाज बंधुओं ने सरकार व प्रशासन के मंदिर विरोधी रवैये पर भारी रोष प्रकट किया। मंदिर बचाओ संघर्ष समिति की अपेक्षा है कि सरकार जनभावनाओं को ध्यान में रखकर सकारात्मक कदम उठाएगी।

संघर्ष समिति की प्रमुख मांगे

मंदिर तोड़ने के लिए जिम्मेदार दोषियों को तत्काल दंडित किया जाए, रोजगारेश्वर मंदिर समेत सभी प्राचीन मंदिरों को उन्हीं स्थानों पर विधि- विधान के साथ प्राण प्रतिष्ठित किया जाए, मंदिरों को तोड़ने की कार्रवाई तत्काल बंद की जाए और मंदिरों के अलावा अन्य धार्मिक स्थल जो मार्गों में आर रहे हैं उन्हें तत्काल हटाया जाए, मंदिरों को हटाने का आदेश देने वाले अधिकारियों और मूर्तियां खंडित करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज हो, छोटी व बड़ी चौपड़ समेत मेट्रो स्टेशन के पास सौन्दर्यीकरण और पार्किंग के नाम पर एक भी मंदिर नहीं हटाए जाए, मंदिरों को केन्द्र में रखते हुए विकास किया जाए, धार्मिक स्थल हटाना ही अंतिम विकल्प हो तो सामाजिक प्रतिनिधियों से सहमति ली जाए। इसके अलावा प्रशासन से जानकारी मांगी गई है कि अभी तक कितने मंदिर हटाए गए हैं, इन्हें कहां पुनः स्थापित किया गया है। मंदिरों को भूमि आंवटन व अन्य सुविधाओं की क्या प्रक्रिया अपनाई गई।