वाशिंगटन। यदि आप जिरह के दौरान आक्रामक रुख अख्तियार करने की आदत रखते हैं और पुरुष हैं तो यह आपको प्रभावशाली बनाता है लेकिन औरतों के मामले में इसका नकारात्मक असर होता है।
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मानवीय व्यवहारों से संबंधित पत्रिका जर्नल लॉ एंड ह्यूमन बिहेवियर में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार अपने तर्क को आक्रामक तरीके से रखने वाले पुरुष सामने वालों को प्रभावित करते हैं जबकि औरतें आक्रामक होने के बाद अपेक्षाकृत कम प्रभावी हो जाती हैं।
इस अध्ययन की सहायक लेखिका जेसिका सालेर्नाे ने कहा कि आक्रामक होकर सामने वालों को प्रभावित करने की क्षमता संभवत: औरतों में नहीं होती है।
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उन्होंने कहा कि इस अध्ययन में हर उस औरत के लिए गहरे निहितार्थ हैं जो कामकाज में या निजी जिंदगी के अपने फैसलों में प्रभाव लाना चाहती हैं।
सालेर्नाे ने कहा कि यदि कोई महिला राजनेता बहस के दौरान आक्रामक तरीके से अपना पक्ष रखती है तो वह लोगों को कम प्रभावित कर पाती है वहीं, इसकी संभावना है कि बिना आक्रामकता के अपना पक्ष रखने पर वह अपेक्षाकृत अधिक प्रभावित साबित हो।
इस अध्ययन में स्नातक के 210 विद्यार्थियों को शामिल किया गया था और उन्हें एक आदमी द्वारा अपनी पत्नी की हत्या करने के प्रयास से संबंधित एक सच्ची घटना से जुड़ी 17 मिनट की फिल्म दिखाई गई।
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अध्ययन के प्रतिभागियों को इस केस के सारे वक्तव्य एवं गवाहों के बयान पढ़ाए गए तथा उन्हें घटनास्थल एवं इस्तेमाल किए गए हथियार की तस्वीर दिखाई गई।
सभी प्रतिभागियों ने एक समान तर्काें को ध्यान से पढ़ा लेकिन कुछ लोगों ने आक्रामक तरीके से अपनी बात रखी जबकि कुछ ने भय के साथ तथा बाकियों ने भावुक होकर सामान्य तरीके से अपना पक्ष रखा।
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अध्ययन करने वाले शोधार्थियों ने पाया कि आदमियों द्वारा आक्रामकता दिखाने के बाद प्रतिभागियों का अपने मत के प्रति भरोसा कम हुआ जबकि औरतों द्वारा ठीक पुरुषों जैसी भाव-भंगिमा एवं वैसी ही आक्रामकता के साथ एकसमान पक्ष रखने के बावजूद प्रतिभागियों का अपने मत के प्रति भरोसा पुख्ता हुआ।