सबगुरु न्यूज-सिरोही। नियम विरुद्ध भाजपा कार्यालय के लिए जमीन आवंटन के प्रयास में मुंह की खाने के बाद भी भाजपाइयों का कायदे-कानून पर विश्वास कम ही दिख रहा है। 16 मार्च को तहसीलदार और नगर परिषद आयुक्त के शहर से ठेले वालों को और अतिक्रमण को हटाने के दौरान सभापति ताराराम माली और भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष सुरेश सगरवंशी ने प्रशासनिक अधिकारियों से जबरदस्त बहसबाजी की।
वैसे सभापति ने यह माना है कि वह चाहते हैं कि वेंडर्स वेंडिंग जोन में जाएं, लेकिन अगर भाजपा के नेता यह नहीं भी मानें तो क्या सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट पर आए निर्णयों के विपरीत जाकर यह लोग सिरोही शहर को वेंडर्स और अतिक्रमण से संकडा रख पाएंगे। इसके लिए इन्हें सुप्रीम कोर्ट जाना पडेगा, शायद वहां भी राहत नहीं मिल पाए।
फिर इन नेताआंे का यह हंगामा बेमानी और 264 लोगों के लिए शहर के तीस हजार लोगों को परेशान करने के प्रयास से ज्यादा कुछ नजर नहीं आ रहा है।
-क्या है स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट
वैसे स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट स्ट्रीट वेंडर्स की सुरक्षा और संरक्षा के लिए है, लेकिन इनके नियमों की पालना नहीं करने पर आर्थिक दंड का प्रावधान है। इसके तहत कोई भी स्ट्रीट वेंडर नो वेंडिंग जोन में अपना लाॅरी, ठेला या रेहडी नहीं लगा सकता है। यदि वह ऐसा करता है तो उसके उपर प्रतिदिन आर्थिक दंड लगाया जाएगा इतना ही नहीं उसका लाइसेंस भी निरस्त कर दिया जाएगा।
राजस्थान में इस एक्ट को 2011 में ही लागू कर दिया गया था, लेकिन इसके कुछ प्रावधानों को लेकर विवाद के कारण लम्बे समय तक इस एक्ट की पालना हाईकोर्ट फिर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के इंतजार में अटकी रही।
सुप्रीम कोर्ट और राजस्थान हाईकोर्ट ने भी वेंडिंग जोन बनाने के बाद ही स्ट्रीट वेंडर्स को रीलोकेट करने पर सहमति जता दी है। सिरोही शहर में नगर परिषद ने वेंडिंग जोन बना दिए हैं और वेंडर्स के लिए स्थान भी निर्धारित कर दिया है। ऐसी स्थिति यदि वेंडर्स नो वेंडिंग जोन में जाकर अपनी रेहडी आदि लगाते हैं तो फिर उन पर स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट के तहत कार्रवाई कर सकते हैं।
ऐसे में 16 मार्च को जिला कलक्टर के आदेश पर उपखण्ड अधिकारी के निर्देश में की जा रही कार्रवाई नियम और सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट व स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट के तहत नियम और कानून सम्मत ही थी।
-ले सकते हैं स्थायी लोक अदालत का सहारा
सिरोही शहर में कई वरिष्ठ और जागरूक नागरिक भी सिरोही के संकडे बाजारों में दोनों ओर खडे लारियों और ठेलों से परेशान होकर कई बार इन्हें हटाने के लिए प्रशासन से अनुरोध भी कर चुके हैं।
अब भी यदि भाजपा नेताओं इस बात का दबाव बनाते हैं कि वेंडर्स को नगर परिषद की ओर से निर्धारित वेंडिंग जोन में नहीं जाना है तो ऐसी स्थिति में सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट के हवाला देते हुए कोई भी शहरवासी स्थायी लोक अदालत के माध्यम से इन वेंडर्स को बाजार से हटाकर वेंडिंग जोन में भेजने के लिए अपील कर सकता है।