चेन्नई। तमिलनाडु विधानसभा के अध्यक्ष पी. धनपाल ने सोमवार को ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के टीटीवी दिनाकरन समर्थक 18 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया। इस फैसले के बाद विधानसभा में मुख्यमंत्री ई.पलनीस्वामीको अपने आप बहुमत मिल गया है।
विधानसभा सचिव के. बूपति ने कहा कि इन 18 विधायकों को तमिलनाडु लेजिस्लेटिव एसेंबली (डिस्क्वालिफिकेशन आन ग्राउंड आफ डिफेक्शन) रूल्स 1986 के तहत अयोग्य घोषित किया गया है। सोमवार से यह सभी विधायक नहीं रह गए हैं।
इन विधायकों की सदस्यता रद्द होने से 234 सदस्यीय विधानसभा (जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन से रिक्ट सीट अभी खाली है) की संख्या घटकर 215 हो गई है। मुख्यमंत्री ई. पलनीस्वामी का कहना है कि उन्हें 114 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। विपक्षी डीएमके और उसकी संबद्ध पार्टियों के पास 98 विधायक हैं।
अयोग्य करार दिए गए विधायकों में थंगा तमिलसेल्वन, आर.मुरुगन, मरियप्पम केनेडी, के.कतिकमू, सी.जयंती पद्मनाभन, पी.पलानीयाप्पन, वी.सेंथिल बालाजी, एस.मुथैया, पी.वेतरीवेल, एन.जी.पार्थिबन, एम.कोठानडापनी, टी.ए.एलुमलाई, एम.रंगासामी, आर.थंगादुरई, आर.बालासुब्रह्मणी, एतीरकोट्टई एस.जी.सुब्रमण्यम, आर.सुंदरराज और के.उमा माहेश्वरी हैं।
विधानसभा अध्यक्ष ने शुरुआत में दिनाकरन समर्थक एआईएडीएमके के 19 विधायकों को नोटिस जारी किया था। इनमें से एक एसटीके जकाइयन पाला बदलकर पलनीस्वामी की तरफ आ गए थे।
इन 18 विधायकों ने न तो पार्टी की सदस्यता छोड़ी है और न ही अन्य किसी पार्टी में शामिल हुए हैं। सामान्यतया इन्हीं आधारों पर किसी विधायक की सदस्यता रद्द की जाती है।
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए दिनाकरन ने संवाददाताओं को बताया कि वह विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले के खिलाफ मामला दायर करेंगे। उन्होंने कहा कि न्याय की जीत होगी। धोखाधड़ी कभी जीत नहीं सकती।
दिनाकरन के वफादार विधायक थंगा तमिलसेल्वन ने कर्नाटक के कोडागु में कहा कि वह सौ फीसदी आश्वत हैं कि उन्हें न्यायालय में न्याय मिलेगा। वे तब तक चैन से नहीं बैठेगे जब तक मुख्यमंत्री को हटा नहीं दिया जाता। कोडागु के एक रिसार्ट में दिनाकरन समर्थक विधायक टिके हुए हैं।
बीते सप्ताह वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मद्रास उच्च न्यायालय से कहा था कि उन्हें डर है कि विधानसभा अध्यक्ष इन विधायकों को अयोग्य घोषित कर सकते हैं और इसके बाद पलनीस्वामी को शक्ति परीक्षण के लिए कह सकते हैं। उन्होंने डीएमके के वकील की हैसियत से यह बात कही थी जिसने विधानसभा में तुरंत शक्ति परीक्षण की मांग करते हुए याचिका दायर की हुई है।
विपक्षी दलों ने भी दिनाकरन समर्थक विधायकों द्वारा पलनीस्वामी से समर्थन वापस लेने के बाद सदन में बहुमत परीक्षण की मांग की थी।
डीएमके नेता एम.के.स्टालिन ने सोमवार को संवाददाताओं को बताया कि विधानसभा अध्यक्ष का फैसला लोकतंत्र की निर्मम हत्या है और मुख्यमंत्री द्वारा विधानसभा में बहुमत सिद्ध करने का शॉर्टकट प्रयास है।
उन्होंने कहा कि यह कदम विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री की मिलीभगत का नतीजा है। मद्रास उच्च न्यायालय ने 20 सितम्बर तक बहुमत परीक्षण नहीं होने के आदेश दिए हैं।
स्टालिन ने इससे पहले कहा था कि दिनाकरन समर्थित विधायकों के पलनीस्वामी सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद सरकार अल्पमत में आ गई है।