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वोट डालने के बाद अजय राय बोले काशी इस बार परिवर्तन के मूड में - Sabguru News
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वोट डालने के बाद अजय राय बोले काशी इस बार परिवर्तन के मूड में

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वोट डालने के बाद अजय राय बोले काशी इस बार परिवर्तन के मूड में

ajay rai

वाराणसी। जिले की पिंडरा विधानसभा से कांग्रेस विधायक अजय राय ने मतदान शुरू होने के कुछ घण्टे बाद ही पत्नी के साथ अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि बनारास ने हमेशा से ही पूरी दुनिया को सन्देश दिया है। इस बार स्थिति पूरी तरह से अलग है। जनता परिवर्तन के मूड में हैं।

वहीं उनकी पत्नी ने कहा कि उन्हें कांग्रेस-समाजवादी पार्टी के गठबन्धन के जीतने की उम्मीद है। उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आधी आबादी से मतदान की अपील की और कहा कि वोट किसी को भी दें, लेकिन मतदान अवश्य करें। इससे पहले अजय राय ने मन्दिर जाकर भगवान का आर्शीवाद लिया और पूजा अर्चना की।

विधायक अजय राय पूर्वाचल के बाहुबलियों में शुमार किए जाते हैं। वहीं अगर पिंडरा सीट की बात करें तो कोलअसला के नाम से बहुचर्चित यह सीट कम्युनिस्टों का गढ़ हुआ करती थी, लेकिन सीपीआई नेता उदल के इस किले में अजय राय ने ऐसी सेंध लगाई कि पिछले 20 वर्षो से उन्हें हराने में यहां कोई कामयाब नहीं हो पाया।

वर्ष 2012 में हुए नए परिसीमन में कोलअसला का नाम बदलकर पिंडरा रख दिया गया। कुर्मी की बड़ी आबादी वाले इस इलाके में वर्ष 1957 में हुए चुनाव में सीपीआई नेता उदल ने पहली बार इस सीट से चुनाव लड़ा था। तब उदल ने कांग्रेस के नेता लाल बहादुर सिंह को नजदीकी मुकाबले में हराया था।

उस चुनाव में उदल को 22089 मत मिले थे, जबकि कांग्रेसी उम्मीदवार को 19823 वोट मिले थे। उदल का सियासी सफर एक बार जब 1957 में शुरू हुआ तो वह फिर लगातार 1967 तक चला। उन्होंने लगातार तीन चुनावों में विजय हासिल की।

इसके बाद 1967 में हुए चुनाव में उदल को कांग्रेस के अमरनाथ दूबे ने लगभग दो हजार मतों से परास्त कर दिया। ऐसा लगा कि उदल का गढ़ टूट गया। इसके बाद 1974 में हुए चुनाव में उदल ने एक बार फिर वापसी की और भारतीय क्रांति दल के वीरेंद्र प्रताप सिंह को दोगुने से ज्यादा मतों से पराजित किया।

इस चुनाव में उदल को जहां 36823 मत मिले, वहीं वीरेंद्र को महज 17986 मतों से संतोष करना पड़ा। इसके बाद उदल 1980 तक लगातार जीतते रहे। इसके बाद 1985 में हुए विधानसभा चुनाव में उदल को एक बार फिर कांग्रेस के रमाकांत पटेल ने धूल चटा दी, लेकिन अगले ही चुनाव में उदल ने फिर रमाकांत से अपना बदला ले लिया और 1990 में हुए चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार को हराकर वापसी की।

उदल ने इसके बाद फिर लगातार तीन विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की। वर्ष 1993 में उन्होंने बसपा के उम्मीदवार गुलाब सिंह को हराकर जीत हासिल की थी। इसके बाद से ही उदल का गढ़ टूट गया। वर्ष 1996 के विधानसभा चुनाव में अजय राय ने भाजपा के उम्मीदवार के रूप में उदल को नजदीकी मुकाबले में हरा दिया।

वर्ष 1996 के बाद से ही अजय राय ने इस विधानसभा सीट को एक सुरक्षित किले के रूप में तब्दील कर लिया। इसके बाद वर्ष 2002, 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में वह भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर जीते।

इसके बाद 2009 में इस सीट पर हुए उपचुनाव में वह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीते। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने बसपा के उम्मीदवार जय प्रकाश को हरा दिया। पिछले चुनाव में अजय राय को 52863 मत मिले थे, जबकि जयप्रकाश को लगभग 43 हजार मत मिले थे।