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अजमेर के इस कलाकार के चर्चे देश से विदेश तक, बना रहे रिकार्ड - Sabguru News
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अजमेर के इस कलाकार के चर्चे देश से विदेश तक, बना रहे रिकार्ड

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अजमेर के इस कलाकार के चर्चे देश से विदेश तक, बना रहे रिकार्ड

लोग थोड़ी सी मेहनत कर दें या फिर कुछ शोहरत पा लें तो पैर जमीन पर नहीं पडते। लेकिन यहां हम जिस शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं उसकी दास्तां इसके उलट है।

कलाकारों के संसार में अपना अलग ही मुकान हासिल करने वाले अजयपाल गहलोत ऐसी ही शख्सियत है जिन्होंने चित्रकला के क्षेत्र में परंपरागत और मॉर्डन आर्ट को मिलाकर एक नई विधा को जन्म दिया। अजमेर यूनिवर्सिटी से 1993 में एम ड्राइंग एंड पेटिंग के गोल्ड मैडलिस्ट गहलोत बीते 21 साल से  राजकीय मोईनिया इस्लामिया उच्च माध्यमिक विद्यालय अजमेर में व्याख्याता चित्रकला के पद पर कार्यरत हैं।

अजमेर निवासी गहलोत बीते 35 साल से अपनी कला यात्रा को जारी रखे हैं। कला के इस नशे में न उन्हें न कोई दर्द होता है न कोई थकान। उनके बारे में यह कहना भी गलत न होगा की कला के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने रात को भी दिन के उजियारे के मानिंद बना दिया।

हाथ में कूंची हो तो फिर न दिन का पता होता है न रात का, बस काम तभी खत्म होता है जब कलाकृति पूर्ण हो जाए। एक सामान्य व्यक्ति की तरह जीवन जी रहे गहलोत ने बताया कि खुद उन्हें भी काम के दौरान पता नहीं चलता की कब रात ढल गई और कब सुबह हो आई।

यूं तो गाहे बगाहे उनकी कलाकृतियों के चर्चे देश ही नहीं बल्कि दुनियां तक फैल चुके हैं। अपनी विशेष कृति के बारे में वे बताते हैं कि ओम उनकी विलक्षण कृति है, यह सिर्फ शब्द ही नहीं बल्कि ब्रह्म है। खुद नासा मानता है कि ओम समूचे ब्रह्मांड में ओम की गूंज है, यह ध्वनि तरंगों की तरह हरतरफ व्याप्त है। इसका न अंत है न उदगम, ओम शब्द आनादि काल से भारत की संस्कृति में रचा बसा है।

यही वजह रही कि जब ओम की कृति के बारे में विचार आया तो बस काम शुरू कर दिया। आठ हजार तरह से ओम की कृति का अंकन किया, उसे विभिन्न रंगों के संयोजन से ​जीवंत रूप दिया। ओम अंकन का काम अनवरत रूप से जारी है। हर दिन जब भी काम की शुरुआत होती है तो सबसे पहले ओम का की कृति तैयार होती है, रोम रोम में बस चुका है ओम।

ओम की कृति पूर्ण होने के बाद दूसरी कलाकृति पर काम करना शुरू होता है। एक बार जो ओम बना दिया वह रिपीट नही होता, इस विद्या को कैलीग्राफी कहा जाता है। यानी जब भी अगली बार ओम लिखा जाता है उसका डिजाइन, ले आउट व कलर संयोजन अलग होना जरूरी है।

Ajaypal Gehlot gave a new definition to the Art and Drawings. He has made about 7000 OM symbols and about 10000 Cross symbol designs.

कंप्यूटर से तेज गति और सोच

विश्व में कोई कलाकार तब तक आगे नहीं बढ सकता है, एक मिनट में 80 से 90 तरह के आभूषण डिजाइन तैयार कर सकते हैं, इनमें कोई रिपीट नहीं होगी। ये डिजाइन सिर्फ कला के लिए है न की व्यावसाय के लिए। दस दिन में जो काम दस दिन में पूरा हो उसे एक दिन में करनें की क्षमता।

His working style is very interesting, his ability to draw sketch and colour combination is amazing, as he holds the paint brush his hand draws automatically and each drawing is made with uniqueness.

कला तो ईश्वरीय देन, कलाकार करता है पूजा

गहलोत बताते हैं कि ​गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड के लिए तैयारी में जुटे हैं। हालांकिे अभी एप्लाई नहीं किया है। कुछ कृतियों पर काम चल रहा है पूरा होते ही दुनिया के लिए ये कृतियां अजूबा होंगी। उन्होंने कहा कि कोई कलाकार अवार्ड के लिए काम नहीं करता बल्कि अपनी संतुष्टि के लिए काम करता है। कला तो ईश्वरीय देन है, इसकी पूजा कलाकार का धर्म है।

स्वास्तिक की चर्चित कृति

हिन्दू संस्कृति के सर्वमान्य और सर्वपूज्य स्वास्तिक पर बहु​त काम किया है। इसके करीब दो हजार कृति तैयार हो चुके हैं।

राष्ट्रीय पक्षी मोर

एक हजार कृति तैयार है, इनमें से एक भी रिपीट नहीं है। पोस्टर कलर, रंगों का संयोजन, पंखों की सुदरता देखते ही बनती है।

एलियन की कर रहे कल्पना, जल्द दिखेंगे

गहलोत मॉर्डन आर्ट पर भी  काम कर रहे हैं, एलियन की कल्पना करके उसके विभिन्न रूप बना रहे हैं। खास बात यह है गहलोत ने ज्वैलरी डिजाइन का कही से भी कोई प्रशिक्षण नहीं लिया इसके बावजूद एक से बढकर एक डिजाइन दिए हैं। इसी तरह टैक्टाइल डिजाइन भी संकल्पना पर तैयार किए।

इन कृतियों पर खास काम

10 लाख ज्वैलरी डिजाइन का संकलन
मोर की 3 हजार
ओम की 11 हजार
जीसस क्राइस करीब 5 हजार
डिफ्रेंट मार्र्ड पोटर्स करीब 2 हजार
हरियालो राजस्थान रंगीलो राजस्थान करीब 2 हजार

यहां फहराया परचम

1996 में लिम्का बुक आफ रिकार्ड ओम पर 500 हजार पैंटिंग पर प्राप्त हुआ।

2013 ईसा मसीह की सलीब की 3 हजार पैंर्टिस का लिम्का बुक

2016 में राष्ट्रीय पक्षी मयूर 1 हजार लिम्का बुक