जयपुर। एनआईए ने 2007 के अजमेर बम विस्फोट मामले में आज एक ‘क्लोजर रिपोर्ट’ दाखिल कर साध्वी प्रज्ञा और आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार को क्लीन चिट दी है। जांच एजेंसी ने कहा है कि इन लोगों के खिलाफ अभियोजन योग्य कुछ भी सबूत नहीं मिला।
इस बीच, विशेष सरकारी वकील अश्विनी शर्मा ने संवाददाताओं को बताया कि अदालत 17 अप्रेल को इस बारे में फैसला करेगी कि एनआईए की रिपोर्ट स्वीकार करनी है, या नहीं।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने अपने मामलों की सुनवाई करने वाली एक विशेष अदालत के समक्ष मामला बंद करने का अनुरोध क्लोजर रिपोर्ट दाखिल किया है। अदालत ने भावेश पटेल 39 और देवेंद्र गुप्ता 41 को 22 मार्च को उम्र कैद की सजा सुनाई थी।
जांच एजेंसी ने कहा कि यह इंद्रेश कुमार, साध्वी प्रज्ञा, राजेंद्र और रमेश उर्फ प्रिंस के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं पा सकी है। सुरेश नायर, रामचंद्र कालसांगरा और संदीप डांगे नाम के तीन फरार लोगों को गिरफ्तार करने में एजेंसी के नाकाम रहने के बाद दिनेश कुमार गुप्ता की विशेष एनआईए अदालत ने जांच की गति पर नाराजगी भी जाहिर की।
अदालत ने एनआईए महानिदेशक से तीनों लोगों को पकडऩे के लिए एक प्रगति रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
अदालत ने केरल के मुख्य सचिव, कोझीकोड और इंदौर के जिला कलेक्टरों को पत्र जारी कर उनसे पूछा है कि सुरेश नायर और रामचंद्र कालसांगरा की चल एवं अचल संपत्ति का ब्योरा दाखिल करने में उनके नाकाम रहने को लेकर उनके खिलाफ क्यों नहीं कार्रवाई करनी चाहिए। यह जानकारी अदालत ने फरवरी में मांगी थी।
अदालत ने भावेश पटेल, देवेंद्र गुप्ता और सुनील जोशी को आठ मार्च को दोषी ठहराया था और स्वामी असीमानंद सहित अन्य लोगों को बरी कर दिया था। तीसरे दोषी, जोशी की मुकदमे के दौरान मौत हो गई थी।
गौरतलब है कि 11 अक्तूबर 2007 को ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर एक विस्फोट हुआ था जिसमें तीन श्रद्धालु मारे गए थे जबकि 15 अन्य घायल हो गए थे। मामले में करीब 149 गवाहों से पूछताछ और 451 दस्तावेजों की छानबीन की गई। एनआईए ने मामले में तीन पूरक आरोपपत्र दाखिल किए थे।