अजमेर/जयपुर। अजमेर की सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में करीब साढ़े नौ साल पहले हुए बम धमाके मामले में दोषी करार दिए गए आरोपी देवेन्द्र गुप्ता और भावेश पटेल को बुधवार को उम्रकैद की सजा सुनाई।
एनआईए की विशेष अदालत के न्यायाधीश दिनेश गुप्ता ने देवेन्द्र और भावेश को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए दोनों पर पांच और दस हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया है। देवेन्द्र और भावेश पटेल ने एनआईए कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने की बात कही है।
इस मामले में तीसरे दोषी सुनील जोशी की पहले ही मौत हो चुकी है। आठ मार्च को इस मामले में तीन आरोपियों गुप्ता और भावेश के अलावा सुनील जोशी को अदालत ने दोषी करार दिया था, लेकिन उन्हें सजा पर फैसला 18 मार्च तक टाल दिया गया।
सुनील जोशी का मर्डर होने के कारण उनके खिलाफ कार्रवाई ड्रॉप कर दी गई। 18 मार्च को बचाव पक्ष की दलीलों के बाद कोर्ट ने फैसला 22 मार्च के लिए टाल दिया था। वहीं प्रकरण में मुख्य आरोपी माने जा रहे स्वामी असीमानंद समेत सात आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया था।
गौरतलब है कि 11 अक्टूबर 2007 को अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह परिसर के आहते में बम धमाका हुआ।
बम धमाके के वक्त बड़ी संख्या में जायरीन मौजूद थे। धमाकों से दरगाह परिसर दहल उठा। बम धमाकों में तीन जनों की मौत हुई तो पन्द्रह से अधिक गंभीर घायल हो गए।