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अजमेर दरगाह ब्लास्ट : असीमानंद समेत सात बरी, तीन दोषी करार - Sabguru News
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अजमेर दरगाह ब्लास्ट : असीमानंद समेत सात बरी, तीन दोषी करार

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अजमेर दरगाह ब्लास्ट : असीमानंद समेत सात बरी, तीन दोषी करार
Ajmer Dargah Blast case : Swami Aseemanand, 5 other acquitted, 3 found guilty
Ajmer Dargah Blast case : Swami Aseemanand, 5 other acquitted, 3 found guilty
Ajmer Dargah Blast case : Swami Aseemanand, 5 other acquitted, 3 found guilty

अजमेर। अजमेर दरगाह ब्लास्ट मामले में बुधवार को एनआईए की विशेष अदालत ने फैसला सुनाया। अदालत ने तीन लोगों को दोषी करार दिया है। इनमें से एक की मौत हो चुकी है। स्वामी असीमानंद समेत सात आरोपियों को बरी कर दिया गया है।

दरगाह मामले में बुधवार को फैसले की तारीख होने से दिनभर अदालत में गहमा- गहमी रही। पुलिस सभी अभियुक्तों को कड़ी सुरक्षा के बीच सबुह सुबह 9 बजे ही अदालत में लेकर पहुंच गई थी। एनआईए की विशेष अदालत के न्यायाधीश दिनेशचन्द्र गुप्ता ने करीब पौने पांच बजे फैसला सुनाया।

अदालत ने देवेन्द्र गुप्ता, भावेश पटेल और सुनील जोशी को बम धकाके के षड्यंत्र और बम धमाकों का दोषी ठहराया। इनमें से सुनील जोशी की मौत हो चुकी है। देवेन्द्र गुप्ता और भावेश पटेल जेल में हैं। असीमानंद समेत आठ आरोपियों को बरी किया है। दोषी आरोपियों को सजा का फैसला 16 मार्च को सुनाया जाएगा।

अजमेर दरगाह में हुए बम धमाके में तीन जायरीन की मौत हो गई थी और पन्द्रह घायल हो गए थे। कोर्ट ने आरोपी असीमानंद, चंद्रशेखर, लोकेश शर्मा, मुकेश वासानी, हर्षद, भरतेश्वर उर्फ भरत और मेहुल को बरी कर दिया है। इस मामले में तीन आरोपी फरार हैं।

गौरतलब है कि 11 अक्टूबर 2007 को अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह परिसर के अहाते में बम धमाका हुआ। बम धमाके के वक्त बड़ी संख्या में जायरीन मौजूद थे। धमाकों से दरगाह परिसर दहल उठा। घायल महिला और पुरुषों को पुलिस, खादिमों और जायरीनों ने अस्पताल पहुंचाया।

बम धमाकों में तीन लोगों की मौत हुई तो पन्द्रह से अधिक गंभीर घायल हुए थे। पुलिस ने तलाशी अभियान चलाया तो परिसर में एक लावारिस बैग मिला, जिसमें टाइमर डिवाइस वाला जिंदा बम था। बम निरोधक दस्ते ने जिंदा बम को वहां से हटाकर निष्क्रिय किया। पहले सीबीआई और बाद में यूपीए सरकार ने जांच एनआईए को सौंपी।

एनआईए ने अभिनव भारत के असीमानंद, भावेश पटेल समेत तेरह आरोपियों की गिरफ्तारी की और इनके खिलाफ चालान पेश किया। स्वामी असीमानन्द समेत सात जमानत पर है और शेष जेल में है। इनमे सुनील जोशी की मौत हो चुकी है। मामले में तीन आरोपी अभी भी फरार हैं।

एनआईए की ओर से पेश चालान के मुताबिक अजमेर दरगाह बम धमाके स्थल की जांच में क्षतिग्रस्त मोबाइल व सिमें मिली। वहीं थैले में मिले जिंदा बम के साथ लगी मोबाइल सिम की आईडी से आरोपियों तक पहुंचने में सफलता मिली। ये सिम बिहार व झारखंड से जारी हुई थी। सभी सिमें दूसरे व्यक्तियों के नाम से कूटरचित दस्तावेज से ली गई। वास्तविक लोग सामान्य व मजदूर पेशे से जुड़े मिले थे।

पूछताछ में एक राजनीतिक दल के नेता से भी पूछताछ की गई। पडताल के बाद मोबाइल सिमों के तार अभिनव भारत संगठन के गिरफ्तार सदस्यों से मिले तो उन्हें गिरफ्तार किया गया। एनआईए ने जांच के बाद बम धमाकों के पीछे असीमानंद व उनके साथियों का हाथ माना।

सभी तेरह आरोपियों को गिरफ्तार करके सीबीआई कोर्ट में अलग-अलग चालान पेश किया गया। एनआईए ने असीमानंद के अलावा भावेश पटेल, देवेन्द्र गुप्ता, चंद्रशेखर, लोकेश शर्मा, मुकेश वासानी, हर्षद, भरतेश्वर उर्फ भरत, मेहुल की गिरफ्तारी हुई। मामले की सुनवाई के दौरान 149 गवाह एनआईए ने पेश किए, जिसमें 26 गवाह पक्षद्रोही भी हो गए। 451 दस्तावेज भी कोर्ट में पेश किए गए।

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