लखनऊ। यूपी में समाजवादी पार्टी की पूर्ववर्ती सरकार ने नोएडा के मुख्य अभियंता रहे दागी यादव सिंह को सीबीआई जांच से बचाने के लिए सुप्रीमकोर्ट के कई वकीलों को 21.15 लाख रुपए की बड़ी रकम का भुगतान किया था।
यादव सिंह पर गैरकानूनी ढंग से करोड़ों रुपए जमा करने का आरोप है। इस तथ्य का खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता नूतन ठाकुर द्वारा मांगी गई जानकारी से हुआ है। उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ द्वारा यादव सिंह मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपने के निर्देश को लेकर एक याचिका दायर की थी।
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील की थी, जिसे शीर्ष अदालत ने पहली ही सुनवाई में 16 जुलाई, 2015 को खारिज कर दिया। लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार ने सीबीआई जांच से बचने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी।
चार मई, 2017 को न्याय अनुभाग-1 के विशेष सचिव सुरेंद्र पाल सिंह द्वारा मुहैया कराई गई आरटीआई सूचना के अनुसार राज्य सरकार ने चार वरिष्ठ वकीलों को इस काम पर लगाया।
इनमें कपिल सिब्बल को 8.80 लाख रुपए, हरीश साल्वे को पांच लाख रुपए, राकेश द्विवेदी को 4.05 लाख रुपए और दिनेश द्विवेदी को 3.30 लाख रुपए का भुगतान किया गया।
आरटीआई आवेदक ने कहा कि यह चिंता की बात है कि राज्य सरकार ने यादव सिंह जैसे दागी व्यक्ति को बचाने के लिए इतनी बड़ी राशि बर्बाद कर दी। उन्होंने संबंधित सार्वजनिक अधिकारियों से जनता की बर्बाद हुई धनराशि की मांग की। यादव सिंह इस समय जेल में हैं। सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय उनके खिलाफ मामले की जांच कर रहे हैं।