लखनऊ। विधानसभा चुनाव में करारी हार के बावजूद समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच की दूरियां कम होती नहीं दिख रही हैं।
गुरुवार को पार्टी कार्यालय में हुई बैठक में चाचा भतीजा दोनों एक साथ उपस्थित रहे लेकिन सूत्रों की मानें तो पूरी चर्चा के दौरान दोनों नेताओं के बीच आपस में कोई वार्ता नहीं हुई।
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों की एक बैठक पार्टी कार्यालय में बुलाई थी। इस बैठक में अखिलेश यादव के अलावा पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव, मो. आजम खान और रामगोविंद चौधरी भी शामिल रहे।
हालांकि यह बैठक पार्टी विधायक दल के नेता को चुनने के लिए बुलाई गई थी, लेकिन विधायकों ने इसके लिए पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को अधिकृत कर दिया।
सपा सूत्रों का कहना है कि विधायकों के साथ बैठक से पहले अखिलेश ने अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ बंद कमरे में मंत्रणा की। इस दौरान वहां शिवपाल भी मौजूद रहे लेकिन दोनों लोगों के बीच आपस में कोई बात नहीं हुई।
अखिलेश इस दौरान अपनी हर बात आजम और रामगोविंद चैधरी की ही तरफ मुखातिब होकर कह रहे थे। गौरतलब है कि सपा परिवार में कई महीने से तनीतना चल रही है। चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर पूरा परिवार दो खेमों में बंट गया था।
इसके बाद मुलायम सिंह यादव को अपदस्थ कर अखिलेश यादव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गये थे। 11 मार्च को मतगणना के दिन जब सपा की हार होने लगी थी तो शिवपाल यादव ने पार्टी की हार के लिए अखिलेश को जिम्मेदार ठहराया था।
उन्होंने कहा था कि यह हार समाजवादियों की नहीं, घमंड की हार है। नेताजी (सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव) को हटाकर उनका और मेरा अपमान किया गया था। उसी घमंड का जनता ने जवाब दिया है। सूत्रों की मानें तो सपा का यह विवाद अभी और बढ़ सकता है।
25 मार्च को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई है। उस बैठक में दोनों खेमे एक बार फिर आमने सामने हो सकते हैं। दरअसल पार्टी का एक धड़ा मुलायम सिंह यादव को फिर से सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना चाहता है।
इस धड़े का तर्क है कि अखिलेश यादव ने स्वयं कहा था कि उन्हें बस तीन माह तक जिम्मेदारी का निर्वहन करने दिया जाए, इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद वह स्वयं छोड़ देंगे।
मुलायम समर्थकों का यह भी कहना है कि अखिलेश के नेतृत्व में पार्टी की करारी हार हुई है। इसलिए उन्हें अब राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।