सबसे पहले महंत परमहंस रामचन्द्र दास जी महाराज, फिर आचार्य गिरिराज किशोरी जी , फिर राम मंदिर आंदोलन यज्ञ समिति के अध्यक्ष महंत अवेद्यनाथ जी का निधन और आज हिन्दू चेतना के विराट पुरूष अशोक जी सिंघल का महा प्रस्थान.. लगता है जैसे एक शून्य सा उभर गया है।
एक ऐसा शून्य जिसको भर पाने की शक्ति पता नहीं विधाता देगा भी या नहीं। मुझे ठीक से याद है जब मंदिर आंदोलन के प्रणेता परमहंस रामचन्द्र दास जी महाराज से उनके अंतिम दिनों में एक बार मैंने कुछ जानने की कोशिश की थी तो उन्होंने तपाक से कहा था की मैंने अपनी जवानी प्रवीण तोगटिया को दे दी है।
तब बाकी के सभी योद्धा सक्रिय थे और लगता था की अयोध्या का पुनरुद्धार अवश्य हो सकेगा। फिर काफी समय बीता। सरकार बदल गयी। अटल जी की सरकार की समाप्ति के बाद कांग्रेस की सरकार आ गयी। 10 साल और गुजर गए। फिर आये 2014 के आम चुनाव।
अब अशोक सिंघल जी से लगायत बाकी के सभी को लग रहा था की अयोध्या में घी के दीपक जलाने का समय आ गया। इस प्रतीक्षा में भी लगभग दो साल का समय गुजर गया। इसी बीच आंदोलन के बड़े स्तम्भ रहे आचार्य गिरिराज किशोरी जी ने देह त्याग दिया। उनकी श्रद्धांजलि सभा भी ठीक से याद है।
चिन्मय मिशन दिल्ली के सभागार में बहुत से संकल्प लिए गए। उसी के कुछ दिनों के भीतर ही महंत अवेद्यनाथ जी महाराज भी ब्रह्मलीन हो गए। और आज अशोक जी सिंघल भी महायात्रा पर निकल गए..
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अयोध्या के योद्धाओ में सबसे बड़े यानी भीष्म पितामह लालकृष्ण आडवाणी जी की दशा से पूरी दुनिया वाकिफ है। जाहिर है उनके पास अपने एक एक योद्धा को विदा करते जाने के सिवा कोई मार्ग शेष नहीं बचा है। राजनीतिक पारी की समाप्ति हो चुकी है। वह निश्चय ही सरशियया पर विराजमान जैसी अवस्था में है। ऐसे में आज हजारो सवाल है जिनके जवाब खोजने से भी मिल नहीं रहे।
अयोध्या का क्या होगा? रामजनमबूमि का क्या होगा? मंदिर का क्या होगा? परमहंश जी की तपस्या का क्या होगा? राम की संस्कृति का क्या होगा? क्या फिर अशोक जी की श्रद्धांजलि सभा में वैसे ही संकल्प लिए जाएंगे…. रामलला हम आयेगे, मंदिर वाही बनाएंगे के नारो से ताकत लेकर आखिर सत्ता के सुख में डूबने वाली जमात संकल्प लेगी?
अभी खबर तो यही है कि विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के इंटरनेशनल प्रेसिडेंट अशोक सिंघल का मंगलवार को निधन हो गया। सिंघल पिछले कुछ दिनों से गुड़गांव के मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती थे। उन्हें सांस लेने से जुड़ी दिक्कत थी। वे वेंटिलेटर पर थे। 89 साल के सिंघल के निधन की खबर विहिप के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने मीडिया को दी।
कब होगा अंतिम संस्कार?
बताया जा रहा है कि बुधवार दोपहर तीन बजे दिल्ली के निगमबोध घाट पर उनका अंतिम संस्कार होगा। इससे पहले, मंगलवार रात 8 बजे उनका पार्थिव शरीर दिल्ली में वीएचपी के हेडक्वार्टर्स संकट मोचन हनुमान मंदिर आश्रम में रखा जाएगा।
पीएम नरेंद्र मोदी ने पहले ट्वीट में कहा- अशोक सिंघल का निधन मेरे लिए निजी तौर पर बड़ी क्षति है। उनका जीवन देश की सेवा पर ही केंद्रित रहा था।
मोदी ने कहा- अशोक सिंघल जी कई अच्छे काम और गरीबों को फायदा पहुंचाने वाले सोशल वर्क के लिए जाने जाते थे। वे कई पीढ़ी के लोगों के लिए इंस्पिरेशन थे।
तीसरे ट्वीट में मोदी ने लिखा- मैं हमेशा खुशकिस्मत रहा कि मुझे अशोकजी का आशीर्वाद और मार्गदर्शन मिला। मेरी शोक संवेदनाएं उनके परिवार और उनके कई समर्थकों के साथ हैं।
सुबह मुलाकात के लिए आए थे आडवाणी
सिंघल का हालचाल जानने के लिए बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी और उमा भारती मंगलवार सुबह ही मेदांता हॉस्पिटल पहुंचे थे। दो दिन पहले होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह और प्रवीण तोगड़िया जैसे नेताओं से मुलाकात के बाद सिंघल ने हॉस्पिटल से कहा था, ‘मैं अभी ठीक हूं, मुझे कुछ नहीं हुआ है। अभी तो अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाना है।‘‘ बता दें कि सिंघल से मिलने के लिए बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह बीजेपी के बड़े नेता भी पहुंचे थे।
वीएचपी के मुताबिक, सिंघल को हार्ट और किडनी से जुड़ी दिक्कत थी। लेकिन पिछले एक महीने से ज्यादा वक्त से उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी।
इलाहाबाद में उनका इलाज चल रहा था। लेकिन उनकी तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ। 20 अक्टूबर को हालात खराब होने पर उन्हें स्पेशल प्लेन से दिल्ली लाया गया था। शुरुआती इलाज के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई थी। लेकिन पिछले हफ्ते फिर उन्हें मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा था।
सिंघल ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए अनशन भी किया था। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान वे अयोध्या में राम मंदिर की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे थे। इस दौरान वाजपेयी के आदेश पर फोर्स फीडिंग कराई गई थी। वाजपेयी ने उस समय संसद में एक सवाल के जवाब में कहा था, ष्हमें उनके (सिंघल के) स्वास्थ्य की चिंता थी। डॉक्टरों की सलाह पर हमने फोर्स फीडिंग करने का आदेश दिया।
आगरा में जन्मे थे सिंघल
अशोक सिंघल का जन्म आगरा में एक कारोबारी परिवार में हुआ था। 1942 में प्रयाग में पढ़ते वक्त संघ के कद्दावर नेता रज्जू भैया उन्हें आरएसएस लेकर आए। वे भी उन दिनों वहीं पढ़ते थे। उन्होंने सिंघल की मां को आरएसएस के बारे में बताया और संघ की प्रार्थना सुनाई। इससे वे प्रभावित हुईं और उन्होंने सिंघल को शाखा जाने की इजाजत दे दी।
ऐसे बने संघ प्रचारक
– 1947 में देश के बंटवारे के बाद वे पूरी तरह संघ में आ गए। 1948 में संघ पर बैन लगा तो उन्हें भी जेल में डाल दिया गया। जेल से छूटने के बाद उन्होंने बीई किया। सिंघल सरसंघचालक गुरु गोलवलकर से बहुत प्रभावित थे। प्रचारक के तौर पर वे लंबे समय तक कानपुर रहे।
-1975 से 1977 तक देश में आपातकाल और संघ पर बैन रहा। इस दौरान वे इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ चले अभियान में शामिल रहे।
– आपातकाल खत्म होने के बाद वे दिल्ली के प्रांत प्रचारक बनाए गए।
– 1981 में दिल्ली में एक हिन्दू सम्मेलन हुआ। इसमें बड़ी तादाद में लोग जुटे।
– इसके बाद सिंघल को विश्व हिंदू परिषद की जिम्मेदारी सौंप दी गई।
– नब्बे के दशक में राम जन्मभूमि आंदोलन में विश्व हिंदू परिषद के सबसे आगे रहने की वजह से सिंघल देशभर में सुर्खियों में आ गए।
– देश में विश्व हिंदू परिषद की पहचान कायम करने का श्रेय सिंघल को ही जाता है।
संजय शांडिल्य