जयपुर। प्रदेश की सभी नगरीय निकायें स्वायत्त शासन भवन से विडियों कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जोड़ी जायेंगी। प्रदेश की सभी नगरीय निकायों में सार्वजनिक/सामुदायिक शौचालयों के निर्माण के लिए सर्वे करवाया जायेगा। यह निर्णय स्वच्छ भारत मिशन की राज्य स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति की षष्ठ्म बैठक में लिये गये। बैठक सोमवार को स्वायत्त शासन भवन में स्वायत्त शासन विभाग के प्रमुख शासन सचिव, डाॅ. मनजीत सिंह की अध्यक्षता में आयोजित हुई।
बैठक में संयुक्त सचिव एवं निदेशक स्वायत्त शासन विभाग पवन अरोड़ा, मुख्य अभियन्ता के.के. शर्मा, मुख्य लेखाधिकारी हुलास राय पवार एवं शिक्षा विभाग जलदाय विभाग, पंचायती राज विभाग तथा विभागीय स्वच्छ भारत मिशन के सलाहकार व अन्य अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में प्रमुख शासन सचिव डाॅ मनजीत सिंह ने निर्देश दिये कि प्रदेश की सभी नगरीय निकाय स्वायत्त शासन भवन से विडियों कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जोड़ा जाये।
उन्होंने कहा कि विडियों कांफ्रेंसिंग से नगरीय निकायों के जुड़ने से कार्य त्वरित गति से हो सकेंगे तथा अधिकारियों को कार्य करने के लिए समय पर निर्देश प्राप्त हो सकेंगे। उन्होनें बैठक में यह निर्देश भी दिये कि वर्तमान में प्रदेश में कितने सामुदायिक/सार्वजनिक शौचालय निर्मित हैं एवं कितनों की और आवश्यकता है, के संबंध में एक माह में सर्वे करवाकर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाये एवं व्यक्तिगत शौचालयों के निर्माण की गति में तेजी लायी जाये।
बैठक में संयुक्त सचिव एवं निदेशक, स्वायत्त शासन विभाग पवन अरोड़ा ने बताया कि प्रदेश के 25 शहरों में से 19 शहरों में कचरे के प्रोसेंसिंग प्लान्ट लगाये जाने के लिए स्वीकृती दी जा चुकी है तथा 1300 टन कचरे से जयपुर, जोधपुर व कोटा में कचरे से ऊर्जा बनाने के लिए प्लान्ट लगाये जा रहे है।
इन तीनों शहरों में 14 मेगावाट बिजली बनायी जायेगी। उन्होनंे बताया कि बिल्डिंग मेटेरियल से उपयोगी सामग्री बनाये जाने के लिए प्रदेश के 29 शहरों में प्लान्ट लगाये जायेंगे। इसकी निविदाएं आमंत्रित की जा चुकी है तथा 7 फरवरी, 2017 को खोली जायेगीं। उन्होनें बताया कि भारत सरकार के नये दिशा-निर्देशों के अनुसार स्वच्छ भारत मिशन के तहत 1471 करोड़ रूपये प्राप्त होने है।
इनमें से 657 करोड़ रूपये अब तक प्राप्त हो चुके है। उक्त राशि स्वच्छ भारत मिशन कार्यो के लिए निकायों में भिजवाई जा चुकी है। वर्ष 2016-17 में स्वच्छ भारत मिशन कार्यो के लिए 214 करोड़ रूपये की मांग रखी गई है। जिसमें 128 करोड़ रूपये ठोस कचरा प्रबंधन पर, 25 करोड़ रूपये सामुदायिक एवं सार्वजनिक शौचालय निर्माण पर 30 करोड़ रूपये व्यक्तिगत शौचालय निर्माण पर 28 करोड़ रूपये सूचना, शिक्षा एवं संचार (IEC), क्षमता संवर्द्धन (Capacity Building) के लिए तथा शेष राशि अन्य घटकों पर व्यय की जायेगी।
प्रमुख शासन सचिव डाॅ मनजीत सिंह ने बताया कि प्रदेश के जिन क्षेत्रों में सीवरेज नहीं है। वहाॅ पर वेस्ट वाटर का निस्तारण फीकल स्लज एण्ड सेपटेज मैंनेजमेंट के माध्यम से किया जायेगा। इस संबंध में प्रदेश की 190 नगरीय निकायों के दिशा-निर्देश बनाकर डीपीआर तैयार की जायेगी।