इलाहाबाद। रेड लाइट एरिया मीरगंज में अनैतिक देह व्यापार में लिप्त महिलाओं को धंधा छोडने पर ही उनका घर वापस सुपुर्द किया जाएगा।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कानून के तहत वहां की सेक्स वर्करों के खिलाफ कार्रवाई कर मजिस्ट्रेट द्वारा उनके मकान को सील किए जाने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यदि सेक्स वर्कर कोर्ट में इस आशय का हलफनामा देती हैं कि वे देह व्यापार का धंधा नहीं करेंगी तभी उन्हें उनके मकानों में रहने की इजाजत मिलेगी।
कोर्ट ने कहा कि सेक्स वर्कर अपने हलफनामे में कहें कि वे अपने मकान में सपरिवार रहेंगी और किसी भी दूसरे अन्य व्यक्ति को उसमें नहीं बुलाएंगी। यही नहीं कोर्ट ने कहा कि वे अपने मकान का उपयोग निवास के अलावा किसी अन्य काम के लिए नहीं करेंगी।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले तथा न्यायाधीश यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने सत्यभामा व दो अन्य की याचिकाओं पर दिया है। याची का कहना है कि उसके मकान संख्या 56सी/73सी का बैनामा लिया है और इसी मकान का भूतल अंजलि सामंत का है।
अप्रेल 16 में पुलिस ने देह व्यापार की शिकायत पर नोटिस जारी कर और पूरा मकान सील कर दिया। एसडीएम के इस आदेश की वैधता को चुनौती दी गई है। याची अधिवक्ता दयाशंकर मिश्र का कहना है कि जब तक दोषसिद्ध नहीं हो जाता तब तक शासन को भवन सील करने का अधिकार नहीं है।
जबकि प्रदेश सरकार के अधिवक्ता रामानंद पाण्डेय का तर्क था कि जिस मकान पर याची दावा कर रही है वह मकान अंजलि सावंत के नाम से 56/73 मीरगंज दर्ज है। इस मकान में कोई आपसी बंटवारा नहीं है। ऐसे में संयुक्त मकान होने के नाते देह व्यापार में संलिप्तता पाए जाने पर अंजलि सावंत के इस मकान को सील कर दिया गया है।