इलाहाबाद। जेपी आन्दोलन में भाग लेने वाले आन्दोलनकारियों को मीसा बंदी के समान लोकतंत्र सेनानी पेंशन का लाभ नहीं मिल सकेगा। इसे लेकर दाखिल याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है।
याचिका अनिल कुमार सिंह और 13 अन्य लोगों ने दाखिल की है। सभी देवरिया जिले के रहने वाले हैं। याचिका पर मुख्य न्यायाधीश डा.डी.वाई.चन्द्रचुड और न्यायाधीश यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने सुनवाई की।
याचीगण जेपी आन्दोलन में 10 अक्टूबर 1974 से 11 नवम्बर 1974 तक जेल में बंद थे। याची के वकील प्रांजल शुक्ला का कहना था कि इमरजेंसी के दौरान जेल में मीसा के तहत बंद किए गए लोगों को सरकार लोकतंत्र सेनानी पेंशन दे रही है।
जेपी आन्दोलन के कारण ही देश में इमरजेंसी लगाई गई थी। बिहार राज्य में जेपी मूवमेेंट में जेल गए लोगों को भी लोकतंत्र सेनानी के समान पेंशन दे रही है। इसलिए यूपी में भी जेपी मूवमेंट के बंदियों को पेंशन दी जाए।
स्थायी अधिवक्ता रामानंद पाण्डेय का कहना था कि यूपी में 14 सितम्बर 12 को नीति बनाई गई जिसमें तय किया गया कि 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक जेल गए लोगों को ही लोकतंत्र सेनानी माना जाएगा और उनको सरकार द्वारा अनुमन्य पेंशन और अन्य लाभ दिए जाएंगे। कोर्ट ने कहा कि पेंशन देना सरकार का नीतिगत मामला है। इसलिए अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगी।