इलाहाबाद। गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कालेज के अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 60 से ज्यादा बच्चों की मौत के मामले में जेल में बंद डॉ. कफील खान की याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को खारिज कर दी।
डॉ. कफील की याचिका में गिरफ्तारी पर रोक और एफआईआर रद्द करने मांग की गई थी। न्यायाधीश रमेश सिन्हा और अनिरुद्ध सिंह की खंडपीठ ने याचिका खारिज कर जमानत मिलने की राह रोक दी। अदालत ने कोर्ट ने बीआरडी मेडिकल कालेज के असिस्टेंट एकाउंटेंट क्लर्क संजय त्रिपाठी की भी अर्जी खारिज कर दी है।
गोरखपुर मेडिकल कालेज में जन्माष्टमी के समय दर्जनों बच्चों की मौत मामले में गोरखपुर के जिलाधिकारी को जांच सौंपी गई थी। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य से लेकर कई अन्य जिम्मेदार डॉक्टरों को लापरवाही का दोषी माना गया था।
उसके बाद मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जांच समिति गठित कर एक हफ्ते में रिपोर्ट मांगी थी। मामले में कई स्तरों पर अधिकारियों की उदासीनता और लापरवाही की बातें सामने आई थीं।
मुख्यमंत्री ने हालांकि शुरुआत में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत की बात खारिज कर दी थी और कहा था कि ये मौतें इंसेफेलाइटिस से हुई हैं। इंसेफेलाइटिस गंदगी से होता है। स्वच्छता अभियान में इसका निदान निहित है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इस घटना को गंभीरता से न लेले हुए कहा था कि इतने बड़े देश में ऐसी घटनाएं तो होती रहती हैं।
उधर, बच्चों की मौत मामले में लखनऊ के हजरतगंज थाने में गोरखपुर मेडिकल कालेज के निलंबित प्राचार्य डॉ. राजीव मिश्र, उनकी पत्नी डॉ. पूर्णिमा शुक्ला, डॉ. कफील व क्लर्क संजय त्रिपाठी समेत 9 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। डॉ. राजीव मिश्र, उनकी पत्नी फिलहाल जेल में हैं। वहीं बीते मंगलवार को यूपी एसटीएफ ने डॉ. कफील को भी गिरफ्तार कर गोरखपुर पुलिस को सौंप दिया था।