लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने उत्तेजक भाषण देने के मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सोमवार को राहत दे दी।
न्यायालय ने अमेठी की न्यायिक मजिस्ट्रेट की ओर से केजरीवाल के खिलाफ जारी जमानती वारंट के अमल पर तीन सप्ताह तक के लिये रोक लगा दी है।
केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव के दौरान अमेठी में कथित तौर पर उत्तेजक भाषण दिया था। इस पर अमेठी स्थित मुसाफिर खाना अदालत ने उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था। इस फैसले के खिलाफ अरविंद केजरीवाल ने हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए अमेठी की न्यायिक मजिस्ट्रेट की ओर से जारी जमानती वारंट के अमल पर तीन सप्ताह तक के लिये रोक लगा दी है।
न्यायामूर्ति महेंद्र दयाल ने यह आदेश अरविंद केजरीवाल की तरफ से दायर एक याचिका पर दिया। इस याचिका में गत 20 जुलाई को निचली अदालत से जारी जमानती वारंट समेत पूरे मुकदमे की कार्यवाही रद्द किए जाने की मांग की गई थी।
केजरीवाल के वकील महमूद आलम ने अदालत के सामने अपना पक्ष रखते हुये कहा कि मई 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान केजरीवाल ने जो चुनावी जनसभा में भाषण दिया उससे कोई अपराध नहीं बनता है क्योंकि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आता है।
यह मामला 2014 लोकसभा चुनाव का है। उस वक्त केजरीवाल ने अमेठी के औरंगाबाद गांव में ‘आप’ प्रत्याशी के पक्ष में चुनावी सभा को संबोधित किया था।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव के दौरान अमेठी में दिये गये कथित उत्तेजक भाषण को लेकर वहां दर्ज हुए मामले में वारंट जारी होने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की शरण ली थी।