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अलवर जिले की प्याज ने देश विदेश में बना रखी पहचान - Sabguru News
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अलवर जिले की प्याज ने देश विदेश में बना रखी पहचान

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अलवर जिले की प्याज ने देश विदेश में बना रखी पहचान
Alwar district onions stayed in the country and abroad recognize
Alwar district onions stayed in the country and abroad recognize
Alwar district onions stayed in the country and abroad recognize

अलवर। इस झुलसा देने वाली गर्मी में किसान भले ही गर्मी में सोता है लेकिन प्याज की कण्ठी तैयार करने के लिए उसे पंखे और कूलर की हवा में रखता है।

जिले में किसान प्याज की खेती में इतनी मेहनत करता है कि बच्चे और परिवार भी इससे प्रभावित हो रहे है। जिले में जब पारा 42 के समीप होता है और इस मौसम में प्याज की कंठी खराब नहीं हो इसके लिए किसानों ने प्याज की कंठियों को कूलर और पंखों में या मअलग से घर बनाकर उसमें हवा का इंतजाम कर रखा है।

प्याज के वर्तमान में भाव 30 रूपये किलो हो चुके हैं और किसान की उम्मीद है कि उसकी पैदावार होगी तो उन्हें भी अ’छे दाम मिलेगें। इसी उम्मीद में प्याज की कंठी कूलर और पंखों की ठण्डी हवा खा रही है।

कस्बे में किसानों के लिए महंगाई में लाल सोना कहा जाने वालों प्याज की पैदावार के लिए प्याज की कंठियों की बुवाई जुलाई अंतिम सप्ताह में शुरू होगी लेकिन इस बीच जून माह की झुलसा देने वाली गर्मी में प्याज की कंठियों का खराब होने का खतरा रहता है इसलिए किसान धूप से बचाने के लिए घर के बाहर छांव कर प्याज की कंठियों को रख देता हैं।

किसान अपने बच्चों से भी ज्यादा देख-रेख प्याज की कर रहा है क्योंकि किसान कर्ज लेकर महंगें भावों के बीज लेकर उसकी बुवाई कर प्याज की पौध और कंठियों को रखकर उन्हें वेयर हाउस बना दिया है। इसके बाद जुलाई में इनको दोबारा खेतों में लगाया जाएगा। फिर नवम्बर में प्याज की पैदावार मिलेगी। इतनी मेहनत और लागत के बाद जब प्याज की पैदावार मिलेगी।

इतनी मेहनत और लागत के बाद जब प्याज के भाव में मंदी आ जाती है तो उस समय किसान खुदखुशी को मजबूर हो जाता है लेकिन उम्मीदों के भरोसे किसान इस गर्मी में प्याज की रखवाली बच्चों से अधिक कर रहा है।

कण के बाद कंठी और कंठी की बुवाई जुलाई अगस्त में करने के बाद नवम्बर में फसल पूर्णरूप से तैयार होती है। 8-9 महीने की मेहनत के बाद और एक हैक्टेयर में करीब चालीस हजार की लागत के बाद प्याज तैयार होगा और उस समय क्या भाव रहेंगे यह किसी को मालूम नहीं होता है।

अलवर जिले का प्याज देश विदेशों में तक विख्यात है अलवर का प्याज पाकिस्तान अफगानिस्तान में सबसे अधिक पसंद किया जाता है। इस प्याज की पैदावार करने की शुरूआत अलवर जिले में जनवरी और फरवरी के महीने में शुरू होती है। तीन महीने बाद मई और जून में प्याज के कण की कंठी बन कर तैयार हो जाती है।

प्याज की की फसल के कण कंठी बन कर तैयार हो जाती है। प्याज की फसल लगाने के लिए इस उम्मीद के साथ कर्ज लेकर किसान प्याज खेतों में लगाता है कि  प्याज की पैदावार होने पर जिससे कर्ज लिया है उसे सूद सहित चुका देगें। और बचत होगी उससे घर का खर्च चलाएंगे और परिवार में शादी ब्याह के लिए भी कुछ रकम बचा लेंगे।

किसान को यह पता नहीं होता कि जब प्याज पैदा होगा तो उन्हें मालामाल कर देगा या कंगाल बना देगा। पिछले साल जब प्याज के भाव सौ रूपये किलो थे तब किसान यह सोच रहा था कि इस बार प्याज के भाव अच्छे साबित होंगे और उनकी बचत अ’छी होगी।

तो वे अपने परिवार के लिए नई-नई योजना करने में लग गए थे लेकिन जब प्याज के भाव धरातल पर आ जाते हैं तब खर्चे कि पूर्ति करना मुश्किल हो जाता है और किसानों के चेहरे पर मायूसी छा जाती है।